अनिल गुप्ता@दुर्ग। जिले में रेत का अवैध कारोबार इन दिनों धडल्ले से जारी है। पाटन के सिपकोना और बोरेंदा क्षेत्र में खारुन नदी में डोंगा डालकर दिन रात रेत निकाली जा रही है। जिसकी भनक बकायदा
अधिकारियों को भी है। बावजूद कार्यवाही नहीं हो पा रही है।
पाटन के सिपकोना बोरेंदा और उफरा इलाके में खारून नदी से रेत के अवैध खनन को लेकर जहा अधिकारी बेखबर हैं।तो वही माफियाओं के हौसले इतने बुलंद हैं की रात हो या दिन नदी में दर्जनों हाइवा वाहनों के द्वारा रेत का परिवहन किया जा रहा है। नदी में पर्याप्त मात्रा में पानी है। जिसके कारण रेत माफिया के द्वारा डोंगे(नाव ) का इस्तेमाल किया जा रहा है। डोंगे में बकायदा जनरेटर लगाया गया है। जो की पाईप के माध्यम से रेत को खींच कर बाहर निकालता रहता है। खनिज विभाग द्वारा किसी प्रकार की ठोस करवाई नहीं होने के कारण क्षेत्र में रेत का अवैध खनन बंद होने का नाम नहीं ले रहा है। इस मामले को खुद दुर्ग सांसद विजय बघेल उठा रहे है उनका आरोप है, की अवैध रेत खनन को लेकर उनके कार्यकर्ता लगातर अधिकारियों को अवगत करा रहे है। लेकिन उसके बाद भी अधिकारियों के कान में जू तक नही रेंग रहा है। और वे जब पाटन क्षेत्र के विधायक थे, तब वही कांग्रेसी कार्यकर्ता मुझ पर झूठा आरोप लगाते थे।
इधर दुर्ग जिले के खनिज शाखा के माइनिंग इंस्पेक्टर भरत बंजारे का कहना है कि उन्हें डोंगा के जरिये भरे पानी वाली नदी से रेत निकालने की सूचना नही है और ना ही नदी में डोंगा लगाने की परमिशन दी गई है। और इस तरह से कोई रेत का खनन करता है। तो उसके विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जायेगी ।
जानकारी के अनुसार वर्तमान में दुर्ग जिले के नदियों में सिर्फ चार रेतघाट पीपरछेड़ी, भरदा,सिपकोंना और उफरा को लीज दिया गया है।लेकिन इसकेअलावा जिले में बोरेन्दा,सोनपुर,केसरा, करहिडीह,विनायकपुर,
बिरिझर,धमधा के कई स्थानों से भी बिना लीज के धड़ल्ले से रेत निकाला जा रहा है। इससे शासन को करोड़ो के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। जिले में रात दिन रेत का अवैध उत्खनन जोरों से चल रहा है। इस पर रोक लगाने वाला कोई नहीं है। जिले की मुख्य और सहायक नदीयो का सीना छलनी कर रेत निकालने की खबर दुर्ग के खनिज विभाग को भी है। लेकिन बावजूद ये अवैध कारोबार रुक नही रहा है।