भोपाल
राजधानी भोपाल के सतपुड़ा भवन में बारह जून को लगी भीषण आग से 24 करोड़ के नुकसान के बाद अब इस अग्निकांड की जांच करने वाली समिति ने भविष्य में इस तरह की अग्निदुघटनाओं को रोकने के लिए एमपी में फायर एक्ट लागू करने, अलग से फायर विभाग बनाने और सभी संभागीय मुख्यालयों पर एसडीईआरएफ की फायर की आपदा से निपटने की इकाई गठित करने की सिफारिश की है।
अभी किसकी जिम्मेदारी
वर्तमान में लोक निर्माण विभाग के केपिटल प्रोजेक्ट के पास अग्निशमन की जिम्मेदारी है। शहरी क्षेत्रों में नगरीय प्रशासन विभाग अग्नि सुरक्षा का काम देखता है। लेकिन सभी तरह की अग्नि दुर्घटनाओं के मामले में प्रारंभिक सुरक्षा से लेकर आपदा नियंत्रण पर केन्द्रीयकृत नियंत्रण वाला कोई अलग विभाग मध्यप्रदेश में नहीं है।
क्या होगा?
सूत्रों के मुताबिक एसडीईआरएफ की इकाईयां शुरू की जाएंगी, उन्हें आधुनिक मशीनें देकर बहुमंजिला भवनों की अग्निशमन
की ट्रेनिंग दी जाएगी।
5 राज्यों में अलग विभाग
ओडिशा, कर्नाटक, केरल, दिल्ली और आंध्रप्रदेश में इसके लिए अलग विभाग हैं। इन्हीं की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी अलग से फायर विभाग खोले जाने की सिफारिश समिति ने की है।
इनकी मिली लापरवाही: सतपुड़ा अग्निकांड में राजधानी परियोजना प्रशासन के एक सहायक यंत्री और एक उपयंत्री पर कार्यवाही की सिफारिश की गई है।
हर साल फायर सेफ्टी चैक होगा और इंटीरियर सामग्री के उपयोग की बनेगी संहिता
भोपाल में बहुमंजिला शासकीय कार्यालयों का सचिव जीएडी की अध्यक्षता में और भोपाल के बाहर के भवनों में संभागायुक्त की अध्यक्षता में साल में एक बार फायर सेफ्टी चैक होगी। बहुमंजिला भवनों के कामन स्पेस में टूटा फर्नीचर, कचरा, रिकार्ड रखना प्रतिबंधित होगा। इमारतों में सामग्री उपयोग की संहिता बनेगी। अग्निरोधक इंटीरियर और अन्य सामग्री का उपयोग किया जाएगा। साल में एक बार बिजली सुरक्षा विभाग से जांच कराके प्रमाणपत्र लिया जाएगा। फायर एक्जिट प्लान प्रदर्शित करना होगा। पर्याप्त फायर एक्सटिंग्युशर स्थापित किए जाएंगे।
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