रायपुर। स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत मरीजों के निःशुल्क उपचार के बदले अस्पतालों को समय पर भुगतान नहीं मिल पा रहा है। भुगतान में लेट लतीफी के चलते निजी अस्पतालों के सात मेडिकल कॉलेज से संबंधित अस्पतालों के ही 76 हजार से ज्यादा क्लेम अटके पड़े हैं।
जिसके कारण अस्पताल प्रबंधन को अब समस्या हो रही है। इस मामले में अब आईएमए द्वारा जिला स्तर पर सीएमएचओ और कलेक्टर से इसकी शिकायत की जाएगी। सूत्रों के अनुसार पिछले 6 माह के दौरान ज्यादा देखने को मिल रही है। बता दें कि मरीजों को निःशुल्क उपचार का लाभ देने के लिए स्वास्थ्य सहायता योजना का संचालन प्रदेश में किया जा रहा है।
मरीज के उपचार के बाद अस्पतालों द्वारा किए गए क्लेम की जांच स्टेट नोडल एजेंसी के द्वारा किया जाता है। स्टेट नोडल एजेंसी की जांच व सहमति के बाद ही अस्पतालों को भुगतान होता है। पिछले 6-7 माह से नियमित भुगतान नहीं होने के कारण अस्पतालों में समस्या बढ़ने लगी है। छोटे अस्पतालों को अब संचालन में भी समस्या आ रही है।
अन्य स्वास्थ्य योजना के तहत प्रदेश के शासकीय मेडिकल कॉलेजों से संबंधित अस्पतालों से 1.95 लाख क्लें प्राप्त हुए हैं। जिसमें 1.18 लाख के क्लेम के भुगतान के लिए कार्रवाई की जा रही है। मगर अब भी 76 हजार मामले ऐसे हैं जिनमें भुगतान अचका हुआ है।
अब इस मामले में इंडियम मेडिकल एसोसिएशन द्वारा जिला स्तर पर कलेक्टर और जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से इसकी शिकायत किए जाने की तैयारी कर रहा है। अस्पताल से जूड़े सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत साढ़े तीन साल का भुगतान नियमित तरीके से किया जाता था, मगर पिछले कुछ माह से परेशामी बढ़ी है। क्लेम रिजेक्शन, क्लेम मिसिंग जैसी शिकायतें तो कम हुई हैं, मगर भुगतान की प्रक्रिया में लेटलतीफी हो रही है इस वजह से अस्पताल प्रबंधन परेशान नजर आ रहे हैं।
इन जिलों से भी आई शिकायतें
कवर्धा, बेमेतरा, कोरबा, दल्लीराजहरा से भी इस तरह की शिकायतें आईएमए अधिकारियों तक पहुंची हैं। कई अस्पतालों का भुगतान अटकने की शिकायतें कई जिलों से सामने आ रही है। बता दें कि पिछले दिनों राजनांदगांव में भी ऐसी ही समस्या सामने आई थी इसकी शिकायत स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से की गई थी।
वर्जन
असपतालों के भुगतान में विलंब होने की शिकायत विभिन्न जिलों से आ रही हैं। सभी से कहा गया है कि वहां के सीएमएचओ और कलेक्टर से शिकायत करें। क्लेम अटकने का असर मरीजों के उपचार पर होता है।
डॉ. राकेश गुप्ता, अध्यक्ष, आईएमए रायपुर
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