टीआरपी डेस्क। मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर (Mahakal Temple) में दर्शन के लिए वीआईपी प्रोटोकॉल व्यवस्था अब समाप्त की जा रही है। नई व्यवस्था 1 फरवरी से लागू की जाएगी,जिसके तहत अब महाकाल के दर्शन करने के लिए 250 का दर्शन शुल्क चुकाना होगा।
बता दें कि शासन के प्रोटोकॉल में आने वाले अति विशिष्ट दर्शनार्थियों के लिए दर्शन की व्यवस्था नि:शुल्क ही रहेगी। 31 जनवरी तक वीआईपी प्रोटोकॉल से महाकाल दर्शन सुविधा नि:शुल्क रही थी। अब मंदिर समिति ने सामान्य श्रद्धालुओं की संख्या को बढ़ाकर वीआईपी प्रोटोकॉल वाले दर्शनार्थियों की संख्या कम कर दी है। मंदिर समिति को शिकायत मिल रही थी कि नि:शुल्क दर्शन व्यवस्था में वीआईपी श्रद्धालुओं से पैसे लेकर दर्शन कराए जा रहे थे।
उज्जैन में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में विभिन्न विभागों को प्रोटोकॉल के माध्यम से दर्शन कराने के लिए कोटा निर्धारित किए गए थे। इस व्यवस्था के माध्यम से आने वाले श्रद्धालुओं को प्रोटोकॉल के तहत नि:शुल्क रूप से शीघ्र दर्शन कराए जाते थे। महाकाल मंदिर समिति की 27 जनवरी को प्रोटोकॉल व्यवस्था को समाप्त करने के लिए बैठक हुई थी, जिसमे यह व्यवस्था समाप्त करने का निर्णय लिया गया था। मंदिर प्रशासक को शुल्क निर्धारण का खाका पेश करना था। खाका तैयार कर निर्णय लिया गया कि अब अति विशिष्ट वीवीआईपी को छोड़कर सभी श्रद्धालुओं पर 250 रुपये का शुल्क लगाया जाएगा। सोमवार देर रात से इस व्यवस्था को 1 फरवरी से लागू करने का निर्णय ले लिया गया है।
इसके अलावा सत्कार व्यवस्था के अंतर्गत आने वाले दर्शनार्थियों से गजट प्रावधान के अनुसार, 250 रुपये प्रति व्यक्ति भेंट राशि लेने के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा। मंदिर समिति ने यह व्यवस्था 1 फरवरी 2023 से मंदिर में लागू करने कि सूचना भी जारी कर दी है।
नि:शुल्क दर्शन पात्रता में ये लोग होंगे शामिल
1 फरवरी से लागू हो रही श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले मंत्री, सांसद, विधायक के साथ साधु, संत-महंत, महामंडलेश्वर, शंकराचार्य, पीठाधीश्वर, धर्माचार्य, प्रेस क्लब के सदस्य, अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार (स्वयं) और अति विशिष्ट व्यक्ति, जो शासन के प्रोटोकॉल श्रेणी में आते हैं, उन्हें भी नि:शुल्क प्रवेश दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त किसी भी माध्यम से कोई दर्शनार्थी प्रोटोकॉल के तहत दर्शन के लिए आते हैं, तो 250 रुपये प्रति व्यक्ति की रसीद लेना अनिवार्य होगा।
क्यों लिया गया निर्णय?
महाकालेश्वर मंदिर प्रशासकों का कहना है कि अभी तक शासन के विभिन्न विभागों, प्रेस, न्यायिक विभाग, राजनीतिक दल के लिए प्रोटोकॉल के तहत दर्शन को जाने वाले श्रद्धालुओं का कोटा निर्धारित किया गया था। इस व्यवस्था के बाद भी देखा गया कि जो श्रद्धालु प्रोटोकॉल के तहत व्यवस्था में नहीं आते थे, उन्हें भी नि:शुल्क दर्शन कराए जा रहे थे। वहीं प्रोटोकॉल से दर्शन कराने के नाम पर पैसे लेने की शिकायत भी मिलने लगी थी। इस कारण मंदिर की व्यवस्थाएं बिगड़ती जा रही थीं।
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