नई दिल्ली। मौसमी इन्फ्लुएंजा (एच3एन2) से हरियाणा और कर्नाटक में एक-एक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी है और केंद्र सरकार ने इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकारों को सतर्कता बरतने और किसी भी स्थिति से निपटने की निर्देश दिये हैं।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने शुक्रवार को यहां बताया कि एच3एन2 से हरियाणा और कर्नाटक में एक-एक व्यक्ति की मृत्यु होने की पुष्टि की गयी है। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्यों में नौ मार्च तक एच3एन2 सहित इन्फ्लुएंजा के कुल 3038 मामलों की पुष्टि की गई है। इसमें जनवरी में 1245, फरवरी में 1307 और मार्च में ( 09 मार्च तक) 486 मामले शामिल हैं।
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने मौसमी इन्फ्लुएंजा की स्थिति को लेकर मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की है और राज्यों को सतर्कता बरतने को कहा है। श्री मांडविया ने एक ट्वीट में कहा, “देश में एच3एन2 इन्फ्लुएंजा वायरस के बढ़ते मामलों को लेकर समीक्षा बैठक की। राज्यों को अलर्ट रहने और स्थिति की बारीकी से निगरानी करने के लिए एडवाइजरी जारी की गई है।” इसके अतिरिक्त, नीति आयोग कल यानी 11 मार्च को राज्यों में मौसमी इन्फ्लुएंजा की स्थिति की समीक्षा करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों, प्रबंधन दिशानिर्देशों और बढ़ते मौसमी इन्फ्लुएंजा के प्रबंधन के लिए प्रोटोकॉल के संदर्भ में एक अंतर-मंत्रालयी बैठक आयोजित करेगा।
मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार स्थिति से निपटने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है और सभी स्वास्थ्य उपायों के लिए तैयार है। मंत्रालय वास्तविक एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के माध्यम से विभिन्न राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में मौसमी इन्फ्लुएंजा की स्थिति पर कड़ी नजर रख रहा है। मंत्रालय मौसमी इन्फ्लुएंजा के कारण रुग्णता और मृत्यु दर पर भी नज़र रख रहा है। यह इन्फ्लूएंजा बच्चों और वृद्धों के लिए सबसे खतरनाक है।
मंत्रालय ने कहा है कि मौसमी इन्फ्लूएंजा एक तीव्र श्वसन संक्रमण है। भारत में हर साल मौसमी इन्फ्लूएंजा एक जनवरी से मार्च तक और दूसरा मानसून के बाद के मौसम में होता है। मार्च के अंत से मौसमी इन्फ्लूएंजा के मामलों में कमी आने की उम्मीद है।
मंत्रालय ने कहा कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने मौसमी इन्फ्लूएंजा से बचाव और इलाज के लिए परामर्श जारी किया है। पीड़ित व्यक्ति को मास्क लगाना चाहिए और भीड़भाड वाले स्थानों से बचना चाहिए। साबुन से हाथ धोना चाहिए। एंटीबायोटिक दवायें नहीं लेनी चाहिए और पैरासिटामोल दवा का प्रयोग करना चाहिए। अपने चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।