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राजनांदगांव : ’बिन सतसंग विवेक न होई’- सविता तिलक शोरी

ग्राम कौड़ीकसा में आयोजित भगवद् महापुराण यज्ञ में शामिल हुई समाज सेविका श्रीमती शोरी
मानव जीवन के उद्धार के लिए गीता को बताया अमृत

राजनांदगांव समाज सेविका श्रीमती सविता तिलक शोरी ने रामचरित मानस के चैपाई का उल्लेख करते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसी दास जी ने कहा कि ’बिन सतसंग विवेक न होई’। उन्होंने कहा कि हम दुनिया के किसी भी विश्वविद्यालय एवं बड़े से बड़े शिक्षण संस्थानों में विद्या अध्ययन कर लें किंतु बिना सतसंग के विवेक हो ही नहीं सकती। श्रीमती सोरी ने कहा कि मानव जीवन को सफल बनाने तथा जीवन में दया, करूणा, मानवीय संवेदना तथा सद्चरित्र आदि महान गुणों के विकास के लिए सतसंग एवं साधु पुरूषों की संगति अत्यंत आवश्यक है। श्रीमती शोरी बुधवार 01 मार्च को अंबागढ़ चैकी विकासखण्ड के ग्राम कौड़ीकसा में आयोजित 07 दिवसीय गीता भागवत महापुराण यज्ञ में शामिल होकर अपना विचार व्यक्त कर रहीं थी। इस अवसर पर उन्होंने काशी से पधारे कथा वाचक पण्डित दिनेश पाण्डे के भगवत महापुराण का श्रवण भी किया। श्रीमती शोरी ने गीता को समूचे मानवता एवं मानव जीवन के उद्धार के अमृत बताते हुए सभी को इसका श्रवण करने तथा जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि गीता में भगवान श्री कृष्ण ने जीवन के प्रत्येक समस्याओं का समाधान प्रस्तुत किया है। इस अवसर पर ग्राम पंचायत कौड़ीकसा के सरपंच श्री योगेन्द्र कोड़ापे, पूर्व जनपद सदस्य श्रीमती सुशीला गावरे, श्रीमती दुगधी कुंजाम, लता हरमुख, धनेश कोलियारे सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण एवं श्रद्धालु गण उपस्थित थे।

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