रायपुर। अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस के अवसर पर साइंस कालेज मैदान रायपुर में आयोजित श्रम सम्मेलन के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रमिक हितों में बड़ी घोषणाएं की। उन्होने कार्यस्थल पर दुर्घटना मृत्यु में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के परिजनों को मिलने वाली सहायता राशि एक लाख रुपए से बढ़ाकर 5 लाख रुपए करने तथा स्थायी दिव्यांगता की स्थिति में इन्हें देय राशि 50 हजार से बढ़ाकर ढाई लाख रुपए करने की घोषणा की। साथ ही अपंजीकृत श्रमिकों को भी कार्यस्थल पर दुर्घटना से मृत्यु होने पर एक लाख रुपए की सहायता प्रदान की जाएगी। इस मौके पर स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया, संसदीय सचिव विकास उपाध्याय, संजारी बालोद विधायक संगीता सिन्हा, महिला आयोग की अध्यक्ष किरणमयी नायक, पूर्व सांसद नंद कुमार साय और छाया वर्मा सहित अन्य जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में मुख्यमंत्री निर्माण मजदूर मंथली सीजन टिकट कार्ड योजना की घोषणा की। इसके अंतर्गत जो पंजीकृत निर्माण श्रमिक अपने घर से रेल अथवा बस से कार्यस्थल तक यात्रा करते हैं। उनके लिए मासिक टिकट कार्ड एमएसटी जारी किया जाएगा, यह कार्ड 50 किमी तक की यात्रा के लिए हो सकेगा। इसका संपूर्ण व्यय छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार मंडल वहन करेगा। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक सहायता योजना की घोषणा भी की। इसके अंतर्गत निर्माणी श्रमिकों को नवीन आवास निर्माण अथवा क्रय के लिए 50 हजार रुपए का अनुदान प्रदाय किया जाएगा। मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक दीर्घायु सहायता योजना की घोषणा भी उन्होंने की। इसमें हार्ट सर्जरी, लीवर ट्रांसप्लांट, किडनी ट्रांसप्लांट, न्यूरो सर्जरी, रीढ़ की हड्डी की सर्जरी, पैर के घुटने की सर्जरी, कैंसर, लकवा जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में शासन की स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं के अतिरिक्त भी 20 हजार रुपए का अनुदान निर्माणी श्रमिकों को मिल सकेगा।
इस मौके पर अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि आज 56 करोड़ रुपए से अधिक की राशि डीबीटी के माध्यम से श्रमिकों को हस्तांतरित की जा रही है। हम लोग श्रमिकों के खाते में सीधे राशि का हस्तांतरण कर रहे हैं ताकि वे अपने जरूरत की सामग्री क्रय कर सकें। मुख्यमंत्री ने कहा कि आप लोगों की वजह से ही छत्तीसगढ़ समृद्धि की राह पर है। जब दुनिया लाकडाउन से जूझ रही थी। उस वक्त भी आप लोग छत्तीसगढ़ में अपनी मेहनत का पसीना बहा रहे थे। आप लोगों की वजह से ही कोरोना संकट के बावजूद छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था स्थिर रही। उन्होंने कहा कि बोरे बासी श्रम से जुड़ा आहार है। हमारी परंपरा है। जब खेतों में हमारे भाई अपने श्रम का पसीना बहाकर सुस्ताते हैं तब बोरे बासी उन्हें शीतलता प्रदान करता है।