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राधारानी के मायके को लेकर भिड़ गए दो संत !

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सिहोर/वृंदावन। राधारानी के मायके को लेकर सनातन धर्म में ऐसी बहस छिड़ी कि दो संत आमने-सामने हो गए हैं। दोनों संतों का हिन्दू समाज में बड़ा ही नाम है और दोनों को मानने वाले भक्तों की बड़ी संख्या है।

फिलहाल बात राधारानी के मायके की… सिहोर के रहने वाले कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा एक कथा के दौरान श्रोताओं के समक्ष यह कहते हैं कि राधारानी बरसाने की रहने वाली नहीं थी। प्रदीप मिश्रा बताते हैं कि श्री कृष्ण की पत्नियों में भी राधा का नाम नहीं है।

प्रदीप मिश्रा राधा जी पर बोलते हुए आगे बढ़ते हैं और उनके पति का नाम अनय घोष बताते हैं। और तो और सास का नाम जटिला, ननंद का नाम कुटिला बताते हुए प्रदीप मिश्रा कहते हैं कि राधा जी की शादी छात्रा गांव में हुई थी।

इस दौरान कथा सुन रहे लोगों में से किसी ने पूछा की राधा जी कहां की रहने वाली थी। इस पर प्रदीप मिश्रा बताते हैं कि राधा जी का गांव बरसाना नहीं बल्कि रावल गांव था। बरसाने में राधाजी के पिता की कचहरी थी।

प्रदीप मिश्रा आगे कथा में कहते हैं कि राधा साल में एक बार कचहरी आना जाना करती थी। बरस में एक बार आने जाने को लोग सामान्यतः बरसाना के नाम से जानते हैं। प्रदीप मिश्रा द्वारा कथा में कही गई यही बातें विवाद का विषय है।

…तो आसुओं से वार्ता होती

राधारानी पर पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा कही गई इसी कथा ने प्रेमानंद महाराज को गंभीर रूप से नाराज कर दिया है। नाराजगी इस सीमा तक बढ़ी है कि प्रेमानंद महाराज ने जवाब में वीडियो जारी कर सवाल किए हैं।

प्रेमानंद महाराज प्रदीप मिश्रा से यह पूछते नजर आ रहे हैं कि तुम किस राधा की बात करते हो ? अभी राधा को तुम जानते कहां हो ? अगर जान जाओगे तो आंसुओं से वार्ता होती है। वह प्रकट हुई हैं और सदा प्रकट हैं।

प्रेमानंद महाराज आगे प्रदीप मिश्रा से वीडियो में यह पूछते हुए नजर आते हैं कि बरसाने कभी गए हो… कभी देखे हो ? तुम क्या जानते हो ? कैसे तुम्हे बताऊं कि राधा जी क्या हैं। तुम कितने गं्रथ पढ़े हो ? सिर्फ चापलूसी संसार वाले को रिझा सकते हो।

आगे वह कहते हैं कि श्रीजी के बारे में ऐसा मत बोलो। उनकी शक्ति नहीं जानते हो। तुम देख लेना किसी काम के नहीं रह पाओगे। ये श्राप नहीं परिणाम बोल रहा है। राधाजी भोली हैं लेकिन उनके सेवक काल हैं।

प्रेमानंद महाराज यहीं नहीं रूके। प्रदीप मिश्रा को लेकर उन्होंने कहा कि श्रीजी के बारे में ऐसी टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। ऐसे लोगों की बातें सुनकर पुरखा तर नहीं जाएंगे। प्रदीप मिश्रा पर आगे प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि वो नरक जाएंगे।

बहरहाल, इस तरह के विवाद से सनातन धर्म पर टिका टिप्पणी करने का अवसर मिल गया है। इसी तरह का एक और मामला लहसुन प्याज की उत्पत्ति को लेकर था जब तीन कथा वाचकों ने उत्पत्ति के तीन अलग अलग कारण गिनाए थे।

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