अनिल गुप्ता@दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग के बहुचर्चित रावलमल हत्याकांड के 5 साल बाद न्यायालय ने अपना अहम फैसला सुनाया हैं। हत्याकांड के मुख्य अभियुक्त संदीप जैन को विशेष न्यायधीश ने मौत की सजा सुनाई हैं। संदीप ने ही अपने माता पिता की 1 जनवरी 2018 को गोली मारकर हत्या कर दी थी। रावलमल जैन शहर के प्रतिष्ठित व्यावसायी और जैन समाज के प्रमुखों मे से थे।
दुर्ग जिले के न्यायालय इतिहास मे 20 साल बाद किसी अभियुक्त को आज फांसी की सजा सुनाई गई हैं। विशेष न्यायधीश शैलेश तिवारी ने फैसला सुनाने से पहले साहित्यकार जयशंकर प्रसाद की चार पंक्तियाँ सुनाई। जिसमें इस बात का उल्लेख होता है। की अज्ञानता के कारण जो कार्य किया गया हो। उससे किसी अपनों का जीवन समाप्त होता है। तो उसके लिए विरलतम से विरल की क्या सजा होनी चाहिए। 1 जनवरी 2018 को संदीप जैन ने पिस्तौल से अपने माता पिता की निर्ममता से हत्या की थी। जिसके बाद मामला न्यायालय के अधीन था।आज इस मामले का निष्पक्ष फैसला सुनाते हुये संदीप जैन को फांसी की सजा सुनाई हैं।
दुर्ग न्यायालय के विशेष लोक अभियोजक सुरेंद्र प्रसाद शर्मा ने इस निर्णय के बाद सुप्रीम कोर्ट के 2012 के जजमेंट का हवाला देते हुये कहा कि कोई बालक जो अपने माता-पिता के संरक्षण मे हो, उसके द्वारा यदि उनकी हत्या की जाती है। इस तरह के बालक के लिए मृत्यु की सजा ही उपयुक्त हैं।
समय से पहले बनना चाहता था करोडों रुपए की पूरी संपत्ति का मालिक
संदीप जैन अपने माता-पिता का इकलौता वारिस था। और समय से पहले ही वो करोडों रुपए की पूरी संपत्ति का मालिक बनना चाहता था। इसलिए उसने सुनियोजित तरीके से अपनी माँ सुरीजी देवी और पिता रावलमल जैन की हत्या कर दी थी। इसके लिए उसने पिस्तौल भगत सिंह गुरुदत्ता और शैलेन्द्र सागर से खरीदी थी। तीन गोली उसने अपने पिता और एक गोली अपनी माँ पर फायर की थी। सहअभियुक्त मानते हुये कोर्ट ने आयुध अधिनियम के तहत उन दोनों को भी 5 वर्ष की सजा सुनाई हैं। फांसी की सजा सुनने के बाद संदीप बेहोश होकर अदालत में गिर पड़ा था। लेकिन इसके बाद उसे होश मे लाकर जेल दाखिल कर दिया गया हैं।