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रेपो रेट 6.5% पर स्थिर, जानिए बैठक की मुख्य बातें

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज FY24 के लिए तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की। RBI की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन दिवसीय बैठक 8 से 10 अगस्त तक हुई। RBI ने आज रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखा। मई 2022 से, केंद्रीय बैंक ने रीपो दर 250 आधार अंक (BPS) बढ़ा दी है।

जानिए MPC बैठक की मुख्य बातें

MPC की तीन दिवसीय बैठक में आम सहमति से नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखने का निर्णय लिया गया।

RBI गवर्नर दास ने कहा देश की वृहद आर्थिक स्थिति मजबूत है, दुनिया के लिये आर्थिक वृद्धि का इंजन।

भारतीय अर्थव्यवस्था ने महंगाई के नियंत्रण की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की, हालांकि खाद्य मुद्रास्फीति चिंता का विषय है।

मौद्रिक नीति समिति मुद्रास्फीति पर निगाह रखेगी। मुद्रास्फीति को लक्ष्य के दायरे में लाने को RBI प्रतिबद्ध।

भारत वैश्विक चुनौतियों से निपटने के मामले में अन्य देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में, मौजूदा परिस्थतियों को देखते हुए चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद।

वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष मुद्रास्फीति, भूराजनीतिक अनिश्चितता तथा प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों की चुनौतियां।

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजमर्रा के उपभोग के सामान की बिक्री बढ़ी, जो ग्रामीण मांग में सुधार का संकेत, खरीफ की कटाई के साथ यह और सुधरेगी।

वाणिज्यिक क्षेत्र को संसाधनों का प्रवाह इस साल बढ़कर 7.5 लाख करोड़ रुपये हुआ। पिछले साल यह 5.7 लाख करोड़ रुपये था।

आगामी त्योहारों के दौरान निजी उपभोग तथा निवेश गतिविधियों को समर्थन मिलने की उम्मीद है।

टमाटर की कीमतों में उछाल और अनाज, दालों के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति पर असर, सब्जियों की कीमतों में हो सकता है बड़ा सुधार।

RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान बढ़ाकर 5.4 प्रतिशत किया। दूसरी तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति 6.2 प्रतिशत, तीसरी में 5.7 प्रतिशत और चौथी में 5.2 प्रतिशत रहने का अनुमान।

हालिया हफ्तों में कच्चे तेल की कीमतों में अस्थिरता रही है और मांग तथा आपूर्ति की अनिश्चितताओं के कारण क्षेत्र में कई आशंकाए हैं।

दो हजार का नोट वापस लेने, सरकार को लाभांश की वजह से अधिशेष तरलता का स्तर बढ़ा है।

नकद आरक्षित अनुपात (CRR) 4.5 प्रतिशत पर स्थिर।

चालू खाते का खाता काफी हद तक प्रबंधन के दायरे में। इसे सेवा निर्यात और विदेश में रहने वाले भारतीयों द्वारा भेजे जाने वाले धन से मदद मिलेगी।

अप्रैल-मई के दौरान शुद्ध रूप से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) गिरकर 5.5 अरब डॉलर हुआ, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 10.6 अरब डॉलर था।

फ्लोटिंग ब्याज दर वाले कर्ज के लिए ब्याज दरें नए सिरे से तय करने के लिए एक पारदर्शी प्रणाली का प्रस्ताव।

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