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लंबी खींच रही सचिवों की हड़ताल, मांगों को पूरा करने नहीं दिया जा रहा ध्यान, केवल थमाया जा रहा आश्वासन का झुनझुना

गोपाल शर्मा@जांजगीर। ग्राम पंचायत और पंचायत विभाग के प्रमुख इकाई माने जाने वाले पंचायत सचिव अपनी एकमात्र मांग को लेकर 16 मार्च से 

हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि उनका शासकीयकरण किया जाए। सचिव संघ की हड़ताल को समर्थन देने के लिए जहां सत्तासीन पार्टी कांग्रेस के नेता पहुंच रहे हैं, वहीं राज्य में विपक्ष की भूमिका निभा रहे भाजपा के नेता भी सचिवों की मांग को समर्थन देने पहुंच रहे हैं। इसके अलावा राज्य में तीसरी ताकत वाली पार्टी बसपा के नेता भी गर्म तवे पर रोटी सेकते हुए सचिवों के समर्थन की बात कह रहे हैं। 

जानकारी के मुताबिक अपनी एक सुत्रीय मांगो को लेकर पिछले एक महीने से हड़ताल पर बैठक पचंायत सचिवों को उम्मीद की कोई किरण नजर नहीं आ रही। मामले में सचिव ढोल की तरह बजाए जा रहे हैं। जहां कोई भी पार्टी के नेता आकर समर्थन दे रहे हैं,लेकिन इस समर्थन के खेल में सचिवों का भला नहीं हो पा रहा है, सचिवों का आरोप है कि पूर्व में जब भाजपा शासन में थी तब कांग्रेस के नेता आकर हमारी मांग को जायज बताते थे, और जमीनी लड़ाई लड़ने की बात कहते थे,जब हमारी सत्ता आएगी तो हम मांग पूरा करेंगे, आज कांग्रेस सत्ता में है तो भाजपा के नेता हमारी मांग को जायज बता कर लड़ाई लड़ने की बात कर रहे हैं, हमने दोनों की सत्ता को देख चुके हैं, लेकिन किसी ने सचिवों की मांग को पूरा नहीं किया। आखिर धैर्य कब तक धरा जाए। क्या सिर्फ यह राजनीति करने का मंच बना हुआ है, सचिव अपने मन को मसोसकर सिर्फ नेताओं का समर्थन ले सकते हैं, पर  उनकी मांग कब पूरी हो ये देखने लायक है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की तरह सचिवों की हड़ताल भी लंबी खिंचती जा रही है, लेकिन मांगों को पूरा करने को लेकर सरकार की तरफ से कोई भी पहल नहीं की गई है। ऐसे में सचिवों का धैर्य भी अब जवाब देने लगा है। सचिव चाहते हैं,कि शासन उनकी मांगो के लेकर जल्द कोई निर्णय ले ताकी आम जनता को भी राहत मिल सके।

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