Sonam Wangchuk Fast: केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख में हड्डी गलाने वाली ठंड पढ़ रही है। इसी ठंड के बीच जाने मने वैज्ञानिक सोनम वांगचुक अनशन पे बैठे है। 2019 में केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा मिला और अब वहां के लोग इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की लद्दाख के लोग और सोनम वांगचुक मांग कर रहे हैं।
बता दें कि सोनम वांगचुक ने हिमाचल बचाओ मुहीम की शुरुआत की है। उन्होंने लद्दाख के लेफ्टिनेंट गवर्नर पर बड़े आरोप लगाए है। उन्होंने कहा कि लद्दाख में सिर्फ लेफ्टिनेंट गवर्नर की मनमानी चलती है। राज्य में पिछले तीन साल से कोई काम नहीं हुआ है। लद्दाख के ईकोसिस्टम को बचाने की मुहिम लेकर सोनम वांगचुक पिछले 5 दिनों से अनशन पर हैं।
उन्होंने भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को बचाने के लिए उपवास रखा हुआ है। इसके लिए उन्होंने ट्विटर पर वीडियो पोस्ट डालते हुए लोगों से अनुरोध किया है कि अनशन के अंतिम दिन उनके क्षेत्र के लोग भी उपवास रखें। उन्होंने लिखा कि लद्दाख और उसके परिवेश के साथ एकजुटता दिखाने के लिए हर कोई अपने क्षेत्र में एक दिन का उपवास रखे। सोनम वांगचुक का आज यानी सोमवार (30 जनवरी) को उपवास का छठा और आखिरी दिन है।
आखिर क्या है पूरा मामला
लद्दाख में काफी सालो से ये मामला चल रह अहइ। लेकिन अभी सोनम वांगचुक ने इस मामले को प्रमुखता के साथ उठाया है। लदाख के बौद्ध बाहुल्य लेह को हमेशा से शिकायत रही है कि जम्मू-कश्मीर के नेता उनको अनदेखा करते है और उनकी बात नहीं सुनते। धारा 370 हटाए जाने के बाद लेह-लद्दाख के लोगों काफी खुशी थे। 5 अगस्त, 2019 को इसे उत्तरी राज्य का संवैधानिक दर्जा बदला, लेकिन बाद में यह भी पता चला कि UT बनने के बाद भी जम्मू और कश्मीर की विधायिका तो होगी पर लद्दाख की नहीं। अब यहां प्रशासन की कमान ब्यूरोक्रेट्स के हाथ में है।
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