रवि तिवारी@देवभोग। किडनी बीमारी से ग्रसित धर्मेंद्र की मौत गुरुवार अलसुबह देवभोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हो गई। इसके साथ सुपेबेड़ा में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 87 पहुंच गई। ग्रामीण अब भी शासन-प्रशासन से सवाल कर रहे है कि और कितनी मौतों के बाद तेल नदी का साफ पानी दिया जायेगा । यहां बताते चले कि सुपेबेड़ा निवासी 36 वर्षीय धर्मेंद्र नेताम की मौत गुरुवार अलसुबह हो गई। गॉव के त्रिलोचन सोनवानी ने बताया कि 2020 से धर्मेंद्र नेताम किडनी की बीमारी से पीड़ित थे, उनका एम्स और देवभोग के सरकारी अस्पताल में भी डायलीसिस हो चुका था.. लगातार उनका तबीयत बिगड़ रहा था.. त्रिलोचन ने बताया कि हाल ही में धर्मेंद्र के जाँच के दौरान उनका क्रिटिनिन 12.4 निकला था..
नेताम किडनी के अलावा अन्य बीमारियों से भी ग्रसित था। पिछले कुछ दिनों से स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में था। एम्स में डायलीसिस करवाने के बाद देवभोग के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी मृतक 5 से 6 बार डायलीसिस करवा चुका था.. बीएमओ डॉक्टर सुनील कुमार रेड्डी ने बताया कि मृतक धर्मेंद्र को बीपी की परेशानी थी, वे बीपी की दवाई ले रहे थे, बीएमओ ने भी माना कि मृतक किडनी की बीमारी से ग्रसित थे.. लेकिन उन्होंने किडनी की बीमारी से मौत होने की बात को सिरे से ख़ारिज कर दिया.. बीएमओ ने धर्मेंद्र की मौत को नेचुरल डेथ बताया…
बीमारी का जड़ पानी, और समाधान ठंडे बस्ते में-:
सरपंच प्रतिनिधि महेंद्र मसरा , त्रिलोचन सोनवानी, महेंद्र सोनवानी ने कहा कि गांव में कई बार मंत्री, अफसरों का दौरा हुआ, हर बार हम तेल नदी से पानी सप्लाई की मांग कर रहे हैं। पहले ही बताया गया है कि गांव के ग्राउंड वाटर में गड़बड़ी है, उसके विकल्प में ही हम तेल नदी के बहते पानी चाह रहे हैं पर हर बार हमसे झूठा वादा किया गया। पानी में हैवी मेटल घुला है, पर आयरन फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगा दिए। नदी का पानी 2020 में मिलेगा बताकर मद बदलने का खेल कर दिए। स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है पर बीमारी का असली जड़ पानी है, जिसका समाधान अब भी ठंडे बस्ते में है। ग्रामीणों की माने तो उनकी सबसे महत्वपूर्ण मांग तेल नदी से पानी देने का है.. जिसे शासन को गंभीरता से लेकर पूरा करना चाहिए…