इस वर्ष जी20 की मेजबानी करने वाले भारत के महत्व के बारे में बोलते हुए विदेश मंत्री ने रविवार को कई सारी बातें की। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा जी20 की मेजबानी का मकसद यह है कि भारत दुनिया के लिए तैयार हो और दुनिया भारत के लिए तैयार हो।
विदेश मंत्री ने बेंगलुरू में लोगों से बातचीत के दौरान कहा कि जी20 की मेजबानी के लिए भारत ने इस समूह के सदस्यों से ही नहीं बल्कि दुनिया के उन 125 देशों से भी परामर्श किया जो G20 का हिस्सा नहीं हैं। इसके बाद हम उन मुद्दों को सामने लाए जो पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं।
विदेश मंत्री ने कहा कि देश आम तौर पर अपनी राजधानी और 2-3 अन्य शहरों में जी20 बैठकें करता हैं लेकिन हमने देश के अलग-अलग राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के 60 शहरों में बैठकें की है। इस तरह सरकार ने विदेश नीति का लोकतंत्रीकरण किया है। सरकार चाहती है कि देश का हर शहर और हर राज्य दुनिया के बारे में अधिक जागरूक हो।
इसके अलावा, सरकार का यह भी मकसद था कि दुनिया पूरे भारत से परिचित हो। विदेशी लोग हमारी विविधता, बहुलवाद, विभिन्न संस्कृतियों, व्यंजनों और कला से अवगत होकर अपने देश वापस लौटें। हाल ही में केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने भी कहा कि भारत की अध्यक्षता में जी20 जन आंदोलन में बदल गया है।
बता दें भारत की G20 अध्यक्षता में होने वाली बैठकों का अर्धशतक पूरा हो गया। मुंबई, विजाग और रामनगर में एक ही दिन होने वाली तीन अलग-अलग बैठकों से भारत में होने वाली बैठकों की कुल संख्या 50 तक पहुंच गई है। भारत ने पिछले वर्ष 1 दिसंबर को इंडोनेशिया से जी20 की अध्यक्षता संभाली थी और भारत के पास 30 नवंबर 2023 तक यह दायित्व रहेगा। भारत ने G20 अध्यक्षता के दौरान ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को ध्येय वाक्य के रूप में चुना है।
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