छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से जारी कक्षा पांच की पुस्तक के एक पाठ पर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद भड़क गए हैं। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान भरी सभा में पुस्तक से पाठ को फाड़ दिया। कहा कि यह हिंदू धर्म के विरुद्ध षड्यंत्र है। इसमें गेरुआ वस्त्र पहने स्वामी का चित्र बनाकर उसको कपटी बताया गया है। कार्यक्रम में ही उन्हें किसी ने किताब में प्रकाशित उस पाठ को दिखाया था। शंकराचार्य ने लोगों से भी इसका विरोध करने और आगे कानूनी लड़ाई लड़ने की बात कही है।
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, किताब में जो लिखा गया है, उसमें यह भी बताया जाए कि किसी भी कपड़े में ठगी हो सकती है, फकीर के वेश में भी बहुत ठग हैं, आतंकवादी घूम रहे हैं, उसके बारे में क्यों नहीं है, मुसलमान ही क्यों आतंकवादी निकलता है, क्योंकि मुसलमान का वेश तो रहता ही है ना उसका, वह क्यों नहीं बता रहे हो इसमें, उससे ज्यादा संभलने की जरूरत है. हर एयरपोर्ट में एक-एक इंच हमारी जांच की जा रही है. उसके बारे में आप बच्चों को सजेस्ट नहीं कर रहे हो, उसके मन में जहर बो रहे हैं. हमारी मांग है कि सबसे पहले इस पाठ को इस पाठ्य पुस्तक से अलग किया जाना चाहिए. जाकिर अली इसके लेखक हैं और जो इस पाठ को इस पाठ्य पुस्तक में शामिल कराने वाले हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद दो दिवसीय दौरे पर कबीरधाम (कवर्धा) पहुंचे हुए हैं। वह शुक्रवार को ग्राम जुनवानी में आयोजित एक यज्ञ कार्यक्रम के दौरान सभा को संबोधित कर रहे थे। वहीं किताब के 25वें पाठ ‘चमत्कार’ को देखने के बाद शंकराचार्य नाराज हो गए। उन्होंने कहा कि, राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद ने इसे प्रकाशित किया है। उन्होंने कहा कि, यह धर्म के विरुद्ध है। वह इस किताब को नहीं, बल्कि इस पाठ को हिंदू धर्म के विरुद्ध षड्यंत्र मानकर फाड़ रहे हैं।
ठगी तो कुछ भी बनकर हो सकती है
शंकराचार्य ने कहा कि, किताब में ‘चमत्कार’ शीर्षक से पाठ है। इसमें ठगी से बचने के उपाय बताए जा रहे हैं। यह बताना अच्छी बात है, लेकिन ठगी केवल संन्यासी के वेश में नहीं होती। ठगी तो पुलिसकर्मी बनकर, फकीर बनकर, नेता और आर्मी सहित अन्य रूप धरकर भी होती है। इस पाठ में एक स्वामी है, जिसको गेरूआ कपड़ा पहनाकर चित्र बनाया गया है। साथ ही यह भी बताने का प्रयास है कि वह जो कहते हैं, करते हैं, वह गलत है। सावधान रहना चाहिए।
बच्चों के मन में जहर घोलने का प्रयास
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, इसमें जो परिचय दिया गया है, उसमें यह नहीं कहा गया है कि ठग से सावधान रहें। इसमें कहा गया है कि स्वामी से सावधान रहें। इससे पता चलता है कि जाकिर भाई के मन में बच्चों को निष्पक्ष शिक्षा देने की भावना नहीं है। एक समुदाय विशेष को टारगेट करके जो साधु-संन्यासी हैं, उनके बारे में बच्चों के मन में गलत धारणा बैठाने की योजना परिलक्षित होती है।
लेखक और समिति पर कार्रवाई हो
उन्होंने कहा कि, इस पाठ के लेखक जाकिर अली हैं। हम लेखक और उसे शामिल करने की अनुशंसा करने वाली समिति पर कार्रवाई की मांग करते हैं। शंकराचार्य ने कहा कि, इसका हम विरोध करते हैं। इस पाठ को किताब से हटाया जाए। यह बताया जाए कि किसी भी कपड़े में ठगी हो सकती है। फकीर के वेश में भी ठगी हो सकती है। आतंकवादी के बारे में बताया जाए, आतंकवादी क्यों मुसलमान होते हैं, उसे क्यों नहीं बता रहे। उससे ज्यादा संभलने की जरूरत है।
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