भोपाल
सतपुड़ा भवन में दस दिन पहले लगी आग के साइड इफेक्ट प्रदेश के विभिन्न जिलों से आने वाले लोगों को भुगतने पड़ रहे हैं। यहां जिन दफ्तरों की फाइलें और अन्य रिकार्ड, उपकरण जल कर खाक हो गए हैं उनकी तो बात ही अलग है जिन दफ्तरों में आग नहीं लगी थी, वहां के काम से आने वाले लोगों को भी परेशान होना पड़ रहा है। दो दिन पहले तक यहां दफ्तर संचालन की अनुमति नहीं थी और अब परमिशन दी गई है तो अफसर कर्मचारी नहीं आ रहे हैं। इसका नुकसान लोगों को उठाना पड़ रहा है और वे भटकने को मजबूर हैं।
आगजनी के शिकार भवन के जिस विंग में भूतल के नीच मेडिकल एजुकेशन, रेशम संचालनालय, आयुष विभाग, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण, राज्य खाद्य आयोग के दफ्तर लगते हैं वहां दफ्तरों का संचालन अभी पूरी तरह से शुरू नहीं हुआ है। इसके ऊपर आदिवासी विकास, उच्च शिक्षा, विद्युत निरीक्षक, स्वास्थ्य समेत अन्य विभागों के सचिवालय हैं। दूसरी ओर की विंग में सहकारी निर्वाचन प्राधिकारी, एनआईसी, पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक विभाग, पीएचई समेत अन्य विभाग संचालित हैं। इस पूरे भवन में गुरुवार दोपहर तक बिजली सप्लाई बाधित थी। इस कारण दफ्तर शुरू होने के बाद भी काम नहीं हो रहे थे।
अब बिजली सप्लाई शुरू हो गई तो पानी और अन्य सुविधाएं भी बहाल हुई हैं लेकिन आग से बचे दफ्तरों में कर्मचारियों व अधिकारियों की उपस्थिति पर्याप्त नहीं है। ऐसे में विभागों से संबंधित काम के लिए दूर दराज के जिलों से आने वाले लोगों को भटकना पड़ रहा है। मेडिकल एजुकेशन में पदस्थ एक अफसर के अनुसार पिछले 11 दिनों में सैकड़ों लोगों को बगैर काम कराए लौटना पड़Þा है। अब दफ्तर शुरू हुआ है तो रुके कामों को तेज करना होगा।
आग लगने के बाद भवन की सफाई का काम चल रहा है लेकिन 16 घंटे से अधिक समय तक लगी आग के बाद अब यहां फैली बदबू से कर्मचारी अधिकारी परेशान हैं। उन्हें बीमारी का खतरा भी सता रहा है।
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