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सत्तर साल सूखे के बाद अब भारत के जंगलों में दौड़ेंगे चीते

मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट के नाम से मशहूर है, लेकिन अब यहां चीतों की भी दहाड़ सुनाई देगी। बता दें कि सत्तर साल बाद भारत में चीतों को बसाने के लिए प्रोजेक्ट चीता बनाया गया है। चर्चा है कि, आगामी 17 सितंबर को मध्य प्रदेश के कूनो पालपुर अभयारण्य में चीते लाए जा रहें हैं, जिसके बाद अब कूनो के जंगलों में चीते दौड़ते नजर आएंगे।

अफ्रीका औऱ नामीबिया से चीते लाए जाएंगे

पहले 15 अगस्त को चीते भारत आने वाले थे, लेकिन चिकित्सा जांच और अन्य समस्याओं के चलते तारीख टलती गई। चीता प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाया जाना है। पांच साल में पचास चीतों को पूरे देश में बसाने की योजना है। शुरुआत में आठ चीते आने हैं, जिन्हें कूनो नेशनल पार्क में रखा जाएगा। जिसके बाद कूनो पालपुर अफ्रीकी चीतों को बसाने वाला देशभर का पहला स्थान बन जाएगा और यहां चीतों की दहाड़ सुनाई देगी।

मध्य प्रदेश में चीतों को लाने के लिए तैयारी जोरोशोरों से चल रही है। चार्टेड प्लेन से लाकर सड़क मार्ग से इन्हें लाया जायेगा। बता दें कि चीते लाने के लिए मध्य प्रदेश और अफ्रीकी देश नामीबिया के बीच समझौता हुआ है। नामीबिया मध्य प्रदेश को 8 चीते देगा। इन सभी चीतों को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में रखा जाएगा। सबसे पहले चीतों को ग्वालियर लाया जाएगा जिसके बाद सड़क के माध्यम से कूनो राष्ट्रीय पार्क ले जाया जाएगा।

कूनो सबसे अच्छी जगह होगी चीतों के लिए

हर चीते को 10 से 20 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र चाहिए होता है, और पार्क करीब 750 वर्ग किलो मीटर में फैला घना जंगल है। इस हिसाब से यह पार्क सबसे अच्छी जगह होगी चीतों को रखने के लिए। आखिरी बार भारत में चीता 1948 में देखा गया था। कोरिया राजा रामनुज सिंहदेव ने इसी वर्ष तीन चीतों का शिकार किया था। जिसके बाद भारत में चीते विलुप्त हो गए। इसके बाद 1952 में भारत में चीता प्रजाति की समाप्ति मानी।

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