कोरबा। इस जिले में DMF से जुड़े जिले के वरिष्ठ अधिकारी जब कमीशनखोरी में लगे रहे तब निचले स्तर के लोग ईमानदारी से काम करेंगे इसकी अपेक्षा करना बेमानी होगी। जी हां, कोरबा जिले में ED द्वारा कलेक्ट्रेट में की जा रही माइनिंग विभाग की जांच के बीच एक छोटे से पंचायत में सरपंच-सचिव द्वारा किये गए लाखों के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। यहां DMF से निर्माण कार्य तो किया गया मगर इसी कार्य को 14 वें-15 वें वित्त से भी होना दर्शा दिया गया और 15 लाख रूपये निकाल लिए गए।
कोरबा जिले के पाली जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले कोरबी ग्राम पंचायत की निर्वाचित सरपंच संतोषी बाई एवं सचिव गिरीशचंद्र कश्यप के शातिर दिमाग की लोग दाद दे रहे हैं। दोनों ने मिलीभगत कर भ्रष्टाचार की ऐसी युक्ति निकली जिसे जानकर इस ग्राम पंचायत की जनता भी हैरान है।
कोरबी ग्राम पंचायत के झालापारा मोहल्ला में हायर सेकेण्डरी स्कूल के समीप 7 सौ मीटर नाली का निर्माण खनिज न्यास निधि से कराया गया, यह बात नाली का निर्माण करने वाले ठेकेदार ने मिडिया को बताई। उधर इस निर्माण की आड़ में सरपंच- सचिव ने दूसरी नाली का निर्माण किया जाना बता कर लगभग 14 किश्तों में 14 वें-15 वें वित्त के मद से कुल 14 लाख 96 हजार 6 सौ 30 रुपए की राशि का आहरण कर लिया।
दरअसल कोरबी में निवासरत एक मीडियाकर्मी के घर के सामने से होकर गुजरने वाली गली और नाली का निर्माण आधा-अधूरा था, और बार-बार बोलने के बावजूद यह कार्य पूरा नहीं किया जा रहा था। इससे नाराज मीडियाकर्मी पाली जनपद पंचायत पहुंचा और अपने गांव में हुए निर्माण कार्य की जानकारी मांगी। यहां मौजूद बाबू पहले तो गोलमोल जवाब देते रहे, लेकिन जब मीडियाकर्मी ने RTI में सारी जानकारी निकालने की बात कही तब उसे DMF शाखा द्वारा देखकर बताया गया कि संबंधित नाली का निर्माण DMF मद के 19 लाख रूपये से कराया गया है।
दरअसल शासकीय विभागों में किसी भी निर्माण कार्य की प्रगति स्थल की फोटो और जियो टैगिंग को देखकर जानी जाती है, और उसके आधार पर ही किश्तों में भुगतान किया जाता है। पंचायतों में ग्राम सहायक के पास जो मोबाइल होता है उसमे संबंधित कार्यस्थल की तस्वीर खींचे जाने पर जगह की तकनिकी तौर पर जानकारी दर्ज हो जाती है। कोरबी पंचायत में सरपंच-सचिव ने मिलकर DMF के मद से जिस नाली का निर्माण किया, उस के अलावा एक अन्य नाली के निर्माण की जानकारी देते हुए पंचायत मद की राशि का 15 लाख रूपये आहरण कर लिया। जनपद पंचायत में जब जियो टैगिंग का मिलान किया गया तो दोनों निर्माण कार्यों में तस्वीरें और जिओ टैगिंग एक ही थीं। इस तरह गड़बड़ी पकड़ी गई।
जनपद पंचायत पाली के ग्राम पंचायत में इस तरह की गड़बड़ी होती रही और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी। हालांकि एक मीडियाकर्मी की सक्रियता से मामले का खुलासा हो गया। जिसके बाद जनपद CEO वी के राठौर ने टीम बनाकर मामले की जांच का आदेश दे दिया। इस टीम में सब इंजिनियर हेमंत कुमार और करारोपण अधिकारी श्याम लाल मरावी को शामिल किया गया है।
ग्राम पंचायतों में कराए गए कार्यों का प्रतिवर्ष ऑडिट किया जाता है, किन्तु अधिकारी कार्यालय बैठे-बैठे ही कार्यों का भौतिक सत्यापन कर बिल बाउचर प्रमाणित करते आ रहे है, जिसका भरपूर फायदा ऐसे सरपंच- सचिव उठा रहे है। सरपंच-सचिव अब अपने इस काले कारनामे पर पर्दा डालने की जुगत में लगे हुए हैं।
जानकार बताते हैं कि पाली जनपद क्षेत्र में ऐसे कई निर्माण कार्य हुए हैं, जिनका पंचायतों ने DMF के अलावा दूसरे मद से भी होना बता कर लाखों का वारा-न्यारा कर लिया है। यहां की पंचायतों में हुए कार्यों का सत्यापन करा लिया जाये तो सारी गड़बड़ियां उजागर हो जाएंगी।
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