गरियाबंद। सुपेबेड़ा में बीते 3 साल से किडनी की बीमारी से पीड़ित 36 वर्षीय युवक की मौत हो गई। 18 बार डाईलीसिस के बावजूद इस युवक की जान बचाई नहीं जा सकी। सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी से यह 87 वीं मौत है।
सुपेबेड़ा में किडनी पीड़ितों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है। 36 वर्षीय धर्मेंद्र नेताम की मौत हो गई। परिजनों के मुताबिक धर्मेंद्र 2021 से किडनी रोग से पीड़ित था। उसका देवभोग, गरियाबन्द के अलावा एम्स में अब तक 18 बार से ज्यादा डायलिसिस हो चुका था, निजी व सरकारी तौर पर लगातार उपचार जारी था। शुक्रवार को तबियत बिगड़ते ही उसे देवभोग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मामले में बीएमओ सुनील रेड्डी ने कहा कि मृतक के परिजनों को पीएम के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। मौत स्वभाविक हुआ होगा। पीएम से ही असली कारण पता चलता, किडनी फैल होने से मौत हुई है, कहना जल्दबाजी होगी।
बता दें कि 2011 से अब तक 87 किडनी रोगियों की मौत हो चुकी है। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक सुपेबेड़ा के 22 ग्रामीणों का क्रिएटनिन लेबल बढ़ा हुआ है, जिसमे एक पीड़ित का गांव में ही पेरिटोनियल डायलिसिस चल रहा है।
सुपेबेड़ा में किये गए सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ कि यहां के भूजल में रसायन मिला होने के चलते उसका प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है और उनकी किडनी ख़राब हो रही है, मगर यहां के लोगों को साफ़ पानी मिले इसके लिए तमाम घोषणाओं के बावजूद अब तक सफलता नहीं मिल सकी है।
सुपेबेड़ा गांव में लागू नल-जल योजना का काम घोषणा के 3 साल बाद भी शुरू नहीं हो सका है। तेलनदी में स्ट्रक्चर खड़ा कर पानी को रिमूवल कर गांव में साफ पानी देने के लिए 12 करोड़ की मंजूरी मिली हुई है, लेकिन अब तक टेंडर प्रक्रिया स्तर पर ही मामले की फाइल अटकी हुई है।
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