गुजरात दंगों के मामलों से सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप में गिरफ्तार सोशल एक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर आज फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। कल की सुनवाई में अदालत ने गुजरात सरकार से ही तीखे सवाल किए है। कोर्ट ने तीस्ता के खिलाफ एफआइआर करने का आधार पूछा है। अदालत ने कहा कि तीस्ता के खिलाफ कोई भी गंभीर मामला नहीं है और न ही उसपर कोई आईपीसी की धारा लगी है। फिर भी महिला होने के नाते उसे राहत नहीं दी गई है।
शीर्ष न्यायालय ने मामले में गुजरात हाई कोर्ट द्वारा जमानत के लिए 6 हफ्ते का लंबा समय देने पर भी नाराजगी जताई। न्यायालय ने कहा कि क्या हाई कोर्ट में ऐसा ही होता है, क्या हमेशा ऐसे ही लंबी तारीखें दी जाती हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार को यह बताने को कहा कि क्या इससे पहले भी किसी महिला को इस तरह के आरोपों में इतनी देर तक जेल में रखा गया हो।
बता दें कि गुजरात दंगों के मामले में गलत सबूतों से राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य उच्च प्रशासकीय लोगों को फंसाने के आरोप में तीस्ता को 25 जून को गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट से पीएम मोदी को क्लीन चिट मिलने के बाद तीस्ता पर केस चलाया जा रहा है।
तीस्ता ने अपनी गिरफ्तारी के बाद सत्र अदालत में जमानत अर्जी डाली थी, जिसके खारिज होने पर उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट का रुख किया था। हाई कोर्ट ने इसके बाद जमानत याचिका को छह सप्ताह बाद 19 सितंबर को लगाने का आदेश दिया था। जमानत की लंबी तारीख मिलने के बाद तीस्ता ने शीर्ष न्यायालय में याचिका दाखिल कर अंतरिम जमानत मांगी है। कोर्ट में फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है।