रायपुर। स्कूल शिक्षा विभाग में हजारों की संख्या में शिक्षकों का स्थानांतरण हुआ और उस समय भी यह चर्चा आम हुई कि नियम विरुद्ध ट्रांसफर किए गए हैं । ट्रांसफर करते समय जिन नियमों को स्कूल शिक्षा विभाग ने खुद तैयार किया था उन्हीं की जबरदस्त अनदेखी हुई और यही वजह है कि मुख्यमंत्री भी जनसुनवाई करने पहुंचे तो अनेक जगहों पर ग्रामीणों और शिक्षकों से यह शिकायत सुनने को मिली की आंख मूंदकर किए गए ट्रांसफर की वजह से स्कूल में अब शिक्षक ही नहीं है । हालांकि जो कार्रवाई आज से 4 महीने पहले हो जानी थी उसमें विभाग की नींद अब खुली है और अब जाकर लोक शिक्षण संचालनालय को ऐसे तमाम ट्रांसफर की याद आई है जिसमें नियम विरुद्ध स्थानांतरण हो गया है यही वजह है कि अब ट्रांसफर नियम के कंडिकाओ का उल्लेख करते हुए समस्त जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र प्रेषित कर यह समझाया जा रहा है की स्थानांतरण में क्या क्या शर्ते थी और स्थानांतरण किसी भी परिस्थिति में शिक्षकों की न्यूनता वाले स्थान से अधिकता वाले स्थान पर या विद्यालय शिक्षक विहीन या एकल शिक्षक की होने की स्थिति में स्थानांतरण न किए जाए और यदि ऐसे स्थानांतरण होते हैं तो ऐसे स्थानांतरण स्वयमेव निरस्त माने जाएंगे हालांकि अंदर की कहानी यह है कि स्वयं राज्य कार्यालयों से सैकड़ों नियम विरुद्ध ट्रांसफर हुए और ऐसे शिक्षकों ने परेशान होकर न्यायालय में याचिकाएं भी दायर की उनका पैसा भी खर्च हुआ वह मानसिक रूप से प्रताड़ित भी हुए लेकिन विभाग को उस समय अपने ही बनाए नियमों की याद नहीं आई और न ही इस प्रकार का कोई पत्र जारी किया गया , उल्टा दबी जुबान में निचले अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया गया कि जो ट्रांसफर हुए हैं उसका परिपालन किया जाए यही वजह है कि निचले स्तर के अधिकारियों ने जिन स्कूलों में ट्रांसफर से शिक्षक विहीन की स्थिति बन रही थी वहां भी शिक्षकों को कार्यमुक्त किया और जहां एक स्कूल में एक ही विषय में 2-3 शिक्षक हो रहे थे वहां भी कार्यभार ग्रहण कराया ।
इधर अब लोक शिक्षण संचालनालय के सहायक संचालक के नाम से पत्र जारी हुआ है जिसमें यह बताया जा रहा है कि स्थानांतरण प्रकरणों में उपरोक्त अनुसार निर्देशों का पालन किया जाना था और जिन स्थानांतरण प्रकरणों में नियमों का उल्लंघन हुआ है ऐसे कर्मचारियों का स्थानांतरण निरस्त करने का प्रस्ताव अभिमत सहित तत्काल मांगा गया है ताकि अग्रिम कार्यवाही हेतु शासन को समय सीमा में प्रेषित किया जा सके । लेकिन बड़ा सवाल यह है कि शिक्षकों के ट्रांसफर पोस्टिंग की जिम्मेदारी संभालने वाले लोक शिक्षण संचनालय की आंख उस समय क्यों नहीं खुली जब यह खुला खेल फर्रुखाबादी हो रहा था और क्या अब लीपापोती कर अपना दामन साफ करने की तैयारी है ।