हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस एके सिंह की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि काननू में सबूत की गुणवत्ता मायने रखती है, उनकी मात्रता नहीं। युगलपीठ ने सजा को उचित करार देते हुए अपील को खारिज कर दिया। बता दें कि हत्या के अपराध में आजीवन कारावास की सजा से दंडित किए जाने के खिलाफ अल्ताफ अहमद अंसारी की तरफ से उक्त अपील दायर की गई थी। अपील में कहा गया था कि उस पर आरोप था कि जनवरी 2012 में घर में घुसकर उसने अपनी महिला रिश्तेदार की हत्या कर दी थी। वारदात को अंजाम देकर वह भाग रहा था तो लोगों ने उसे पकड़ लिया। इस दौरान उसने धारदार हथियार से लोगों पर भी हमला किया था। घायल महिला को पहले उपचार के लिए सिहोरा अस्पताल ले जाया गया। हालत गंभीर होने के कारण उसे जबलपुर रेफर किया गया था, परंतु रास्ते में उसकी मौत हो गई।
अपील में कहा गया था कि सुनवाई के दौरान अधिकांश गवाह मुकर गए थे। जिन्होंने अभियोजन के पक्ष में गवाही दी, वे प्रत्यक्षदर्शी गवाह नहीं थे। अपील की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि एफएसएल तथा डीएनए रिपोर्ट अभियुक्त के खिलाफ है। इसके अलावा अभियुक्त से जप्त शर्ट के दो बटन भी घटनास्थल में मिले थे। युगलपीठ ने निचली अदालत के फैसले को सही बताते हुए अपील को खारिज कर दिया।
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