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हसदेव में ज़मीन अधिग्रहण की सहमति नहीं और पुनर्वास के लिए ग्रामसभा

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में अडानी के एमडीओ वाले कोल ब्लॉक के लिए होने वाली ग्रामसभा का आदिवासियों ने विरोध किया है.कोयला खदान प्रभावित आदिवासियों के पुनर्वास के लिए इस ग्राम सभा का आयोजन किया जा रहा है.

आदिवासियों का कहना है कि जब कोयला खदान के ज़मीन अधिग्रहण के लिए ग्रामसभा ने सहमति ही नहीं दी है तो ग़ैरक़ानूनी तरीके से पुनर्वास के लिए ग्रामसभा कैसे की जा सकती है.

गौरतलब है कि हसदेव अरण्य के परसा ईस्ट केते बासन के दूसरे चरण के विस्तार का काम चल रहा है.

यह खदान राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित है, जिसका एमडीओ यानी माइंस डेवलपमेंट और संचालन अदानी समूह के पास है.

इसी के तहत जिला प्रशासन द्वारा गाँव के पुनर्वास और पुनर्वव्यस्थापन हेतु 19 जून को ग्रामसभा का आयोजन किया गया है, जिसका ग्रामीणों ने विरोध किया है.

ग्रामीणों ने मंगलवार को ब्लॉक मुख्यालय उदयपुर पहुंच कर एस डी एम को ज्ञापन सौंपा और बुधवार को होने वाली ग्रामसभा को निरस्त करने की मांग की.

ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी ग्रामसभा के द्वारा भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने के पूर्व या बाद में जमीन अधिग्रहण हेतु कोई भी सहमति नही दी है. जबकि पेसा अधिनियम 1996 एवं भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की धारा 41 (3) के द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों में ग्रामसभा की सहमति आवश्यक है.

ग्रामीणों ने कहा कि जब हमारी ग्रामसभा ने भूमि अधिग्रहण की सहमति नहीं दी है, तो ऐसे में पुनर्वास के लिए ग्रामसभा का आयोजन गैरकानूनी है.

ग्रामीणों ने कहा कि पूर्व में 8 जून 2022 को जिला कलेक्टर के आदेश पर ग्रामसभा आयोजित हुई थी, जिसमें जमीन अधिग्रहण का ग्रामसभा में सर्वसम्मति से विरोध हुआ था.

ग्रामीणों ने अपने ज्ञापन में वन भूमि पर काबिज व्यक्तिगत वन अधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया भी पूरी नहीं होने की बात कही है.

गौरतलब है कि 26 सितंबर 2022 एवं पिछले वर्ष 22 दिसंबर 2023 को भारी पुलिस बल लगाकर इस खदान के लिए हजारों पेड़ काट दिए गए थे.

ग्रामीणों का आरोप है कि 20 हजार पेड़ो की मार्किंग का कार्य पूरा किया जा चुका है, जिसकी कटाई के प्रयास जारी हैं.

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