नई दिल्ली। लखीमपुर मामले की सुनवाई को सामान्य तरीके से समाप्त होने में पांच साल लग सकते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के न्यायाधीश से प्राप्त एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा। केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा ने केंद्र द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर कथित तौर पर हमला किया था। वह इस मामले के आरोपियों में से एक है।
शीर्ष अदालत को सौंपी गई एक रिपोर्ट में, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि मामले में 200 गवाह, 171 दस्तावेज और 27 फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) रिपोर्ट हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम की बेंच ने ट्रायल कोर्ट के जज से मिली रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा, “रिपोर्ट कहती है कि इसमें कम से कम पांच साल लगेंगे। इसमें कहा गया है कि 208 गवाह, 171 दस्तावेज और 27 एफएसएल रिपोर्ट हैं।”
पीठ उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में अक्टूबर 2021 में प्रदर्शनकारी किसानों और एक पत्रकार को कुचलने वाले आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आशीष मिश्रा की जमानत की सुनवाई 19 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी गई है और तब तक वह जेल में ही रहेंगे। पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए 19 जनवरी की तारीख मुकर्रर की।
आशीष मिश्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पीठ को बताया कि निचली अदालत के न्यायाधीश ने शीर्ष अदालत को एक रिपोर्ट भेजी है।
जब पीठ ने कहा कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की रिपोर्ट के अनुसार, मुकदमे को पूरा करने में सामान्य तौर पर कम से कम पांच साल लग सकते हैं, तो अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि पहले महत्वपूर्ण गवाहों की जांच की जा सकती है।
लखीमपुर खीरी हिंसा
अक्टूबर 2021 में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में किसानों के विरोध के दौरान आठ लोगों की जान चली गई थी। किसान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की बनबीरपुर यात्रा के विरोध में इकट्ठा हुए थे। आशीष मिश्रा को 3 अक्टूबर, 2021 को यूपी के लखीमपुर खीरी में भड़की हिंसा के सिलसिले में 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था।
उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार, एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे। घटना के बाद, ड्राइवर और दो भाजपा कार्यकर्ताओं को कथित रूप से गुस्साए किसानों ने पीट-पीट कर मार डाला। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी। यह घटना तिकुनिया गांव में हुई, जो बनबीरपुर से उस सड़क से जुड़ा हुआ है, जिस पर प्रदर्शनकारी किसानों का कब्जा था।