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2023 की पहली तिमाही में जारी रह सकती है और यह मार्च तक पांच प्रतिशत पहुंच सकती है।

एसबीआई की इकोरैप रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि खुदरा महंगाई दर में आ रही कमी 2023 की पहली तिमाही में जारी रह सकती है और यह मार्च तक पांच प्रतिशत पहुंच सकती है।

महंगाई के मोर्चे पर 2023 में आम जनता को बड़ी राहत मिल सकती है। इस साल पहली तिमाही में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित खुरदा मुद्रास्फीति दर पांच प्रतिशत पर आ सकती है, जोकि आरबीआई की ओर से तय किए गए महंगाई के बैंड की ऊपरी सीमा छह प्रतिशत से भी कम है।

एसबीआई की हाल ही में जारी की गई इकोरैप रिपोर्ट में बताया गया कि 2023 के मार्च तक खुदरा महंगाई दर गिरकर पांच प्रतिशत तक पहुंच सकती है। वहीं, जनवरी-मार्च के बीच औसत खुदरा महंगाई दर 4.7 प्रतिशत रह सकती है। यह रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है, जब सरकार की ओर से जारी किए गए ताजा आंकड़ों में महंगाई में कमी देखने को मिली है।

दिसंबर में महंगाई हुई कम

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा दिसंबर, 2022 के लिए घरेलू उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) डाटा जारी कर बताया गया कि दिसंबर में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.72 प्रतिशत हो गई है, जबकि नवंबर में यह आंकड़ा 5.88 प्रतिशत था। यह लगातार दूसरा महीना था, जब महंगाई आरबीई के टॉलरेंस बैंड में थी। इससे पहले लगातार तीन तिमाही खुदरा महंगाई दर छह प्रतिशत से अधिक थी।

रेपो रेट बढ़ोतरी में आएगा धीमापन

भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थित सलाहकार सौम्य कांति घोष ने एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में बताया कि खुदरा महंगाई दर 12 महीने के न्यूनतम स्तर 5.72 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसके साथ परिस्थितियों में बदलाव होने की वजह से रेपो रेट तेजी से बढ़ने की संभावना कम है।

2022 में पांच बार बढ़ी ब्याज दर

पिछले साल देश में महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई की ओर से ब्याज दरों को कुल पांच बार इजाफा किया था। इस कारण रेपो रेट बढ़कर 2.25 प्रतिशत बढ़कर 6.25 प्रतिशत पहुंच गया है, जो कि मई 2022 में चार प्रतिशत था। आखिरी बार रेपो रेट में इजाफा दिसंबर 2022 में 0.35 प्रतिशत का हुआ था। वहीं, अगली मौद्रिक नीति का ऐलान बजट के बाद आठ फरवरी को हो सकता है।

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