हाईकोर्ट के 21 पूर्व जजों के एक समूह ने बुधवार को एक खुला पत्र जारी किया। उन्होंने कहा कि भारत में समलैंगिक विवाह को वैध बनाने का समाज पर विनाशकारी प्रभाव पड़ेगा। इस मामले पर संविधान पीठ विचार कर रही है।
पत्र में इस तरह के प्रयासों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है कि परिवार व्यवस्था को कमजोर करने के लिए भारतीय समाज और संस्कृति पर आरोपित किए जा रहे इस पाश्चात्य नजरिए से क्षेत्रीय और धार्मिक आधार पर समाज के विभिन्न तबकों से आने वाले देश के लोग गहरे सदमे में हैं।
उनका कहना है कि सदियों से भारतीय सांस्कृतिक सभ्यता पर लगातार हमले होते रहे हैं, लेकिन तमाम बाधाओं के बावजूद वह बची रही है। अब स्वतंत्र भारत में इस पर पश्चिमी विचार, दर्शन और प्रथाओं द्वारा हमला हो रहा है।
पत्र में अमेरिका के अनुभव का हवाला देते हुए बताया गया है कि वहां एचआइवी-एड्स के 70 प्रतिशत मामले समलैंगिक या उभय लिंगी पुरुषों के होते हैं।
पूर्व जजों ने कहा है कि ऐसे संवेदनशील विषय पर संसद और विधानसभाओं में चर्चा होनी चाहिए और कोई भी कानून बनाने से पहले समाज की राय ली जानी चाहिए।
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