बिलासपुर। हाईकोर्ट ने जांजगीर-चांपा जिले के ग्रामीण बैंक की राहौद शाखा में 40 साल पहले हुए गबन के मामले में आरोपी कर्मचारियों की कारावास की सजा माफ कर दी है। हालांकि इनके जुर्माने की रकम बढ़ा दी गई है।
सन 1982 में राहौद शाखा के ब्रांच मैनेजर ओ पी सिंघल सहित कैशियर और फील्ड सुपरवाइजर के खिलाफ 20 हजार रुपए के गबन की शिकायत CBI ने दर्ज की थी। जांच के बाद जबलपुर की विशेष अदालत में उसने चालान पेश किया। सीबीआई कोर्ट ने 12 नवंबर 1999 को तीनों आरोपियों को दो-दो साल कारावास की सजा सुनाई, साथ ही 10-10 हजार रुपए जुर्माना भरने का आदेश दिया।
CBI कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट में अपील की गई। इस बीच सभी कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो गए। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद याचिका को बिलासपुर हाईकोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया। करीब 22 वर्ष तक इस पर सुनवाई छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में हुई। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच ने 23 नवंबर 2022 को सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था। इसके बाद दिए गए फैसले में उन्होंने आरोपियों के कारावास की सजा माफ कर दी और उन्हें अदालत उठने तक की सजा सुनाई। वहीं कोर्ट ने जुर्माने की रकम बढ़ाकर 50-50 हजार रुपए कर दिया, जिसे 2 माह के भीतर सीबीआई रायपुर की अदालत में जमा करना होगा। हाई कोर्ट ने आरोपियों की उम्र के आधार पर कारावास की सजा से राहत दी है।
Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे
फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन, टेलीग्राम, कू और वॉट्सएप, पर…