रायपुर. सफलता की चाह सभी करते हैं, लेकिन लक्ष्य की प्राप्ति सभी नहीं कर पाते. कुछ यात्रा की जटिलता से घबराकर पहले ही हिम्मत हार जाते हैं और यात्रा शुरू नहीं करते, कुछ यात्रा शुरू तो करते हैं लेकिन मार्ग की बाधाएं पार नहीं कर पाते. सफलता की प्राप्ति के लिए प्रयास में सत्त का होना अति आवश्यक है. यदि प्रयास में सततता नहीं होगी तो लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता. सीमित प्रयास शून्य प्रयास के समान हैं, क्योंकि परिणाम असफलता ही होता है दोनों का.
प्रसिद्ध उक्ति है…
करत-करत अभ्यास ते, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान।।
निरंतर अभ्यास व प्रयास से कठिन से कठिन लक्ष्य में भी सफलता प्राप्ति की जा सकती है. पानी की एक एक बूंद से जिस तरह घड़ा भर जाता है, उसी प्रकार निरंतर अभ्यास से सभी प्रकार की विद्यायें, ज्ञान तथा सफलता प्राप्त किया जा सकता है.
आइए जानते हैं की किन जातको में निरतंर अभ्यास करने का जूनून होता है या आदत होती है कि वे निरंतर प्रयास करते रहते हैं और सफल होते हैं जबकि कुछ बहुत विद्वान होते हुए भी जीवन में असफल रहते हैं. निरंतर कार्य कि प्रवित्ति को देखने के लिए उर्जा, मनोबल और एकाग्रता चाहिए होता है. कुंडली में लग्न, तीसरे और एकादश स्थान से किसी जातक के व्यवहार कि निरंतरता को देखा जाता है, इन स्थानों पर यदि शुभ ग्रह हो या इन स्थान का ग्रह शुभ प्रभाव में हो तो जातक के व्यवहार और प्रयास में निरंतरता होती है, किन्तु प्रतिकूल अथवा क्रूर ग्रहों के प्रभाव में हो तो प्रयास में निरंतरता कि कामी असफलता का कारण बनती है. अत: व्यवहार में किसी के निरंतरता कि कमी दिखाई दे तो गणेशजी कि पूजा करना करना चाहिए जिसमें विशेषकर गणेश गायत्री मंत्र एक बहुत शक्तिशाली मंत्र है. जिसके सही जाप के द्वारा किसी की किस्मत चमक सकती है. इस मंत्र का जाप बुधवार को करना अत्यंत फलदायी माना जाता है.
बुधवार को गणेश जी का दिन माना गया है, इस दिन गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन गणेश जी की पूजा के साथ उनके मंत्रों का जाप किया जाये तो बहुत लाभप्रद होता है. ऐसा माना जाता है की गणेश गायत्री मंत्र का जाप यदि 11 बुधवार 108 बार करें तो जातक के सभी कार्य बिना किसी विघ्न के संपन्न होते हैं तथा व्यक्ति के सभी भाग्य दोष दूर होते हैं. गणेश जी के इस मंत्र को आप बुधवार को या प्रतिदिन भी कर सकते हैं. इससे विद्यार्थियों को विशेष लाभ प्राप्त होता है.
गणेश गायत्री मंत्र
एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात्।।
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