मृत्युंजय
नेशन अलर्ट/रायपुर.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारी इन दिनों छत्तीसगढ़ की धरती पर विचार विमर्श करने आए हुए हैं। इस कार्य में उनकी मदद छत्तीसगढ़ भाजपा के गिने चुने ऐसे लोग भी कर रहे हैं जो कि संघ की परिपाटी का पालन करते रहे हैं। दरअसल, यह सारी कवायद इसलिए की जा रही है क्यूंकि संघ को छत्तीसगढ़ भाजपा में भूपेश बघेल जैसे नेता की तलाश है।
संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत जैसे राष्ट्रीय प्रतिनिधि पहली मर्तबा छत्तीसगढ़ में एक सप्ताह बिता रहे हैं। अखिल भारतीय समन्वय समिति की बैठक के ठीक पहले संघ यहां निर्णय टोली के साथ विचार विमर्श करने जुटा हुआ है। इस बैठक में ऐसे एजेंडे तय होंगे जिन पर अगले वर्ष होने वाला विधानसभा चुनाव का नतीजा बहुत हद तक निर्भर करेगा।
बताया जाता है कि संघ से जुड़े 37 राष्ट्रीय संगठनों के पदाधिकारी इन दिनों रायपुर में माथापच्ची कर रहे हैं। निर्णय टोली की बैठक 9 सितंबर की शाम तक समाप्त हो जाएगी। अगले दिन 10 सितंबर को अखिल भारतीय समन्वय समिति की बैठक शुरू होगी जो कि अभी उल्लेखित कार्यक्रम के मुताबिक 12 सितंबर की शाम को समाप्त होगी।
भाजपा-संघ की चिंता बने हुए हैं भूपेश
संघ की बैठक की अधिकृत जानकारी यही बताती है कि बैठक में छत्तीसगढ़ सहित विभिन्न राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के अलावा राज्य विशेष से जुड़े किसी मुद्दे पर अलग से चर्चा नहीं होगी। बताया तो यही जा रहा है कि जो भी मुद्दे निर्णय टोली अथवा समन्वय समिति की बैठक में आएंगे वह सारे राष्ट्रीय स्तर के होंगे।
इसके बावजूद संघ को नजदीक से जानने वाले कुछ एक लोग बताते हैं कि इस बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर भी बात हो सकती है। इसका कारण भी बताते हुए वे कहते हैं कि भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस ने हाल फिलहाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ में ही दमदार जीत हासिल की थी। प्रदेश अध्यक्ष से भूपेश बघेल को जब उनकी अपनी पार्टी ने मुख्यमंत्री के पद पर पदोन्नत किया तो भाजपा व संघ को जो उम्मीद नहीं रही होगी ऐसा कार्य भूपेश बघेल ने कर दिया है।
भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में रामवनपथ गमन योजना लागू की है। इसके अलावा उन्होंने राम के ननिहाल में चंद्रखुरी स्थित माता कौशिल्या के मंदिर का जीर्णोद्धार कर रखा है। वह गोबर खरीद रहे हैं। उन्होंने गौ मूत्र खरीदने की भी शुरूआत की है। भूपेश ने राम के साथ साथ कृष्ण को लेकर भी छत्तीसगढ़ में योजना लांच की है। कृष्णकुंज अभी हाल फिलहाल की ही योजना है लेकिन इस पर भी बड़ी तेजी से कार्य हो रहा है।
एक तरह से सारे मुद्दे भाजपा को सपोर्ट करते थे। इन्हीं मुद्दों पर संघ के भी पदाधिकारी देश को जागरूक करने गांव गांव, गली गली घुमा करते थे। भूपेश बघेल ने एक तरह से इन मुद्दों पर काम कर कम से कम प्रदेश में तो भाजपा को तो मुद्दाविहीन कर दिया है। यही संघ की असल चिंता का कारण है। संघ नहीं चाहता कि उसका अनुषांगिक संगठन भाजपा इस कदर मुद्दाविहीन हो। संभवत: संघ यह भी नहीं चाहता होगा कि भाजपा से परे किसी और पार्टी का नेता अपनी छवि को इतना ऊपर ले जाए कि उसे रामभगत, कृष्णभगत मानकर चुनावों में जनता वोट करे।
शायद इन्हीं सब कारणों के चलते इस बार संघ की भाजपा के साथ होने वाली बैठक में कहीं न कहीं भूपेश बघेल चर्चा के दायरे में आएंगे। …यदि चर्चा निकलेगी तो दूर तलक जाएगी। यह इतनी दूर का सफर तय करेगी कि अगले वर्ष आने वाला विधानसभा चुनाव के नतीजों पर पड़ने वाले प्रभाव को भी राष्ट्रीय स्तर के पदाधिकारियों के बीच मंथन का विषय बनाएगी। दरअसल, भूपेश ने भाजपा के राष्ट्रवाद के खिलाफ छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढि़यों के बीच जो छत्तीसगढ़वाद प्रस्तुत किया है उसे लेकर पहले भाजपा चिंतित थी और अब संघ भी चिंताग्रस्त है।