विशेष संवादाता, रायपुर
छत्तीसगढ़ में ग्राम पंचायतों और निकायों की माली हालत खस्ता है। इनकी आर्थिक स्थिति दुरुस्त करने के लिए राज्य वित्त आयोग पहले एनजीओ को सर्वे का जिम्मा देता था। सर्वे करने के लिए एनजीओ मोटी रकम भी लेते थे और नतीजतन उनकी रिपोर्ट में आंकड़े आ जाते थे लेकिन कारण और निदान जैसा अनुसन्धान नहीं हो पता था। एनजीओ चुनिंदा निकायों-पंचायतों में रैंडम सर्वे करते थे। जिस वजह से कई बार मूल समस्याएं समग्र रूप में सामने ही नहीं आ पाती थी। इन इनपुट के आधार पर जनता की समस्याएं, पंचायतों व निकायों की वास्तविक जरूरत आयोग और शासन के सामने नहीं आ पति थीं। इसलिए शुक्रवार को राज्य वित्त आयोग और विश्वविद्यालय व कॉलेज के बीच एमओयू किया गया है। जिसके तहत पहली बार ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए विषय विशेषज्ञ मैदान में उतरेंगे। प्रदेश के इन अर्थशास्त्रियों की फीडबैक राज्य वित्त आयोग लेकर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा ताकि ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों की स्थिति सुधरी जा सके। एमओयू में साफ दर्ज है की तीन महीनो में आर्थिक रिपोर्ट बनाकर देना होगा। आने वाले समय और विशषज्ञों को भी इससे जोड़ा जा सकता है। बताते हैं कि संयुक्त सचिव डाॅ. जेएस विरदी एवं अनुसंधान अधिकारी पायल गुप्ता, सचिव सतीश पांडेय आदि एमओयू के समय उपस्थित थे।
नगरीय और स्थानीय निकायों के आय-व्यय का विश्लेषण तथाजनता की संतुष्टि का अध्ययन किया जायेगा , राज्य के ग्राम पंचायतों के स्वयं के कर राजस्व को बढ़ाए जाने के लिए अध्ययन रिपोर्ट बनाई जाएगी और तीसरा राजनांदगांव व बस्तर जिले की ग्राम पंचायत की सेवा स्तर पर बेंचमार्किंग विशेषज्ञ करेंगे। वर्तमान में ज्यादातर पंचायतों और निकायों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। वे टैक्स तक नहीं ले पा रहे हैं। सरकार ही उन्हें जो देती है उससे काम चलता है। रायपुर, बिलासपुर, कोरबा नगर निगम की स्थिति ठीक है। अफसरों के मुताबिक सरकार मदद न करे तो कई पंचायतों व निकायों में काम ही न हो।