रामानुजगंज(पृथवीलाल केशरी )शक्ति की आराधना का महापर्व शारदेय नवरात्र सोमवार से आरम्भ हो गया है। आगामी नौ दिनों तक जगतजननी का दरबार भक्ति की जोत से जगमगा उठा है। इसके लिए रविवार को देवी मंदिरों में विशेष तैयारी की गई थी। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आई हैं। सोमवार को भोर की वेला से रात्रि तक घटकलश और जवारों की स्थापना का शुभ मुहूर्त मे भगतों ने घट कि स्थापना की। नगर के प्रसिद्ध मां महामाया मंदिर एवं पहाड़ी माई मंदिर में भक्तों ने कलश स्थापन के दौरान बालु में जव खभरने के बाद जल से भरा हुआ कलश स्थापन कर विधि विधान के साथ पूजा उपरांत दीप प्रज्वलित किया गया।
नवरात्र में दौ दिनों तक देवी के विभिन्न स्वरूपों की आराधना की जाती है। सिद्धि और साधना की सृष्टि से भी शारदेय नवरात्र को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप को मां शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है। नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों को पूजा जाता है। माता दुर्गा के इन सभी नौ रूपों का अपना अलग महत्व है। माता के प्रथम रूप को शैलपुत्री, दूसरे को ब्रह्मचारिणी, तीसरे को चंद्रघण्टा, चौथे को कूष्माण्डा, पांचवें को स्कन्दमाता, छठे को कात्यायनी, सातवें को कालरात्रि, आठवें को महागौरी तथा नौवें रूप को सिद्धिदात्री कहा जाता है। नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों को पूजा जाता है।
माता दुर्गा के इन सभी नौ रूपों का अपना अलग महत्व है। माता के प्रथम रूप को शैलपुत्री, दूसरे को ब्रह्मचारिणी, तीसरे को चंद्रघण्टा, चौथे को कूष्माण्डा, पांचवें को स्कन्दमाता, छठे को कात्यायनी, सातवें को कालरात्रि, आठवें को महागौरी तथा नौवें रूप को सिद्धिदात्री कहा जाता है।
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