देहरादून/जोशीमठ। Joshimath: भू-धंसाव के संकट का सामना कर रहे जोशीमठ में आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी स्थित नृसिंह मंदिर परिसर में दरारें आ गई हैं। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर में विराजमान रहती है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नृसिंह मंदिर पहुंचकर भगवान के दर्शन किए और मंदिर परिसर में आ रही दरारों का भी निरीक्षण किया। धामी ने कहा कि जोशीमठ के धार्मिक, आध्यात्मिक एवं सबसे पुराने ज्योतिर्मठ की सुरक्षा के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएगी। इस समय हम सबके सामने सबसे पुराने ज्योतिर्मठ को प्राकृतिक आपदा से बचाने की बड़ी चुनौती है।
देहरादून पहुंचकर सीएम सीधे सचिवालय स्थित आपदा प्रबंधन नियंत्रण कक्ष गए, जहां उन्होंने अधिकारियों की बैठक ली, जिसमें जोशीमठ को भूस्खलन व भू-धंसाव क्षेत्र घोषित किया गया।
केंद्रीय संस्थानों से सहयोग की अपील
सीएम ने आईआईटी रुड़की, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की, सीएसआईआर, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की से जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव के कारणों का अध्ययन एवं उपचार के समयबद्ध रिपोर्ट देने का अनुरोध किया।