पुणे। कोरोना महामारी से बचाव एवं रोकथाम के लिए देश भर में शतप्रतिशत टीकाकरण के बाद अब लोगों के शरीर से इम्युनिटी में कमी आ रही है , जिसके कारण बूस्टर डोज की आवश्यकता पड़ने पर बूस्टर डोज लगाए जा रहे हैं। इस बीच लोगों में यह उठ रहे हैं कि बूस्टर डोज के बाद क्या चौथी खुराक लेनी पड़ेगी? इस संबंध में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद में महामारी विज्ञान एवं संक्रामक रोग के पूर्व प्रमुख डॉ. रमन गंगाखेडकर ने कहा कि कोरोना वायरस और उसके स्वरूपों के बारे में मौजूद सबूतों को देखते हुए कोविड-19 रोधी टीके की चौथी खुराक की जरूरत नहीं है।गंगाखेडकर ने एक कार्यक्रम से कहा कि अगर किसी व्यक्ति ने कोविड-19 रोधी टीके की तीसरी खुराक ली है, तो इसका मतलब है कि उसकी ‘टी-सेल’ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को तीन बार प्रशिक्षित किया गया है।
उन्होंने कहा कि मुख्य वायरस (कोविड-19) इतना नहीं बदला है कि एक नए टीके की आवश्यकता हो, इसलिए हमारे ‘टी-सेल’ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पर भरोसा रखें। उन्होंने कहा कि मौजूदा सबूतों को देखते हुए यह इतना गंभीर नहीं है कि कोविड-19 रोधी टीके की चौथी खुराक की जरूरत पड़े। डॉ. गंगाखेडकर के अनुसार, बुजुर्गों और पहले से किसी बीमारी से पीड़ित लोगों को मास्क पहनने जैसे एहतियाती उपाय करते रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि चौथी खुराक के बारे में अभी सोचने की जरूरत नहीं है क्योंकि किसी भी नए स्वरूप का नाता सार्स-सीओवी2 से नहीं होगा। यह पूरी तरह से नया स्वरूप हो सकता है और जब वह आएगा तब हम उसके बारे में सोचेंगे क्योंकि हमारी जीनोमिक निगरानी अब भी जारी है। अभी चिंता करने की जरूरत नहीं है। डॉ. गंगाखेडकर ने पुणे इंटरनेशनल सेंटर द्वारा ‘ब्रेविंग ए वायरल स्टॉर्म: इंडियाज़ कोविड-19 वैक्सीन स्टोरी’ पुस्तक पर आयोजित चर्चा से इतर यह बयान दिया।