राजनांदगांव। शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत वर्ष 2010 से लेकर 2022 तक कितने बच्चे किस प्रायवेट स्कूल में अध्ययनरत् है और अब तक कितने बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया, इसकी जानकारी जब जिला शिक्षा अधिकारी ने देने से इंकार कर दिया तो छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने इसकी लिखित शिकायत कलेक्टर से की, लेकिन कलेक्टर ने भी जांच कराने में कोई रूचि नहीं दिखाया तो इसकी लिखित शिकायत संयुक्त संचालक दुर्ग संभाग से की गई, लेकिन उन्होंने ने भी स्वयं जिला शिक्षा अधिकारी को जांच करने का निर्देश दे दिया, जिसकी जांच नहीं की गई, तो श्री पॉल ने इसकी लिखित शिकायत प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग से कर जिले के आरटीई बच्चों की विस्तृत जांच कराने की मांग की गई थी, जिस पर अब शासन ने डीपीआई को जांच कर शासन को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया है।
श्री पॉल का कहना है कि वर्ष 2010 से लेकर 2022 तक लगभग 4000 गरीब बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया, जिसमें कोरोना काल में लगभग 1664 गरीब बच्चों ने स्कूल छोड़ दिया है, लेकिन शिक्षा विभाग इस जानकारी को छिपाने में लगा हुआ है। दो बार विधानसभा में झूठी जानकारी दी गई, क्योंकि प्रतिपूर्ति राशि भुगतान करने में भारी फर्जीवाड़ा किया गया है। कोरोना काल में मनमाने तरीके से प्रायवेट स्कूलों को प्रतिपूर्ति राशि का सत्यापन कर डीपीआई भेजा गया और डीपीआई ने जो जानकारी डीईओ कार्यालय से सत्यापित होकर आया था, उसके अनुसार प्रायवेट स्कूलों के खातों में राशि ट्रांसफर कर दिया, चूंकि अब शाासन स्तर पर जांच के आदेश दिए गए है, तो जिले में आरटीई घोटाले की परत खुलना तय है।
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