हृदेश केसरी@बिलासपुर। मोपका के सरकारी कर्मचारी सरकारी गृह निर्माण समिति को आवंटित 427 एकड़ भूमि की भू माफिया और दलालों ने मिलकर बंदरबांट कर दी। अब इसकी छानबीन शुरू हुई है तो समिति के निर्वाचित पदाधिकारियों को काम करने नहीं दिया जा रहा है। भू माफिया ने समिति पदाधिकारियों पर ही आरोप लगाना शुरू कर दिया है। अपने लोगों से कलेक्टर को तरह- तरह की शिकायत कराई जा रही है। समिति के वर्तमान पदाधिकारी जानकारी दे रहे हैं कि समिति के पास एक फीट भी जमीन नहीं बची है। भू माफिया और दलाल मिलकर लोगों की खाली पड़ी प्लाट पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं। इसका विरोध करने पर बेबुनियाद आरोप लगाकर समिति के कामकाज को प्रभावित किया जा रहा है।
समिति चाहती है कि असली हकदारो को उनकी जमीन मिल जाए इसके लिए प्रशासन से भी सहयोग लिया जा रहा है।दलाल इसमें बाधा डालने की भरसक कोशिश कर रहे हैं, जिससे समिति का आगे का काम प्रभावित हो रहा है। समिति की जमीन र अवैध बाउंड्री वॉल खड़ी कर दी गई है। समिति ने जब बाउंड्री वॉल से घेर दी गई जमीन की खोज खबर ली तो किसी ने भी संपर्क नहीं किया। जब हमने बाउंड्री वॉल पर समिति की जमीन होना लिखा तो भू माफिया और दलालों ने हमारे कार्यक्रम पर उंगली उठानी शुरू कर दी और समिति के कार्यालय में आकर कामकाज को प्रभावित करना शुरू कर दिया। यहां तक की समिति के अध्यक्ष को एक भूमाफिया ने गोली मारने तक की धमकी दी। समिति के अध्यक्ष ने पुलिस थाने में इसकी लिखित शिकायत की है। शिकायत में बताया गया है कि धमकाने वाले कहा वह बिहार का रहने वाला हूं और बिहार में जो हमारी बात नहीं सुनता है उसे गोली मार दी जाती है। पुलिस द्वारा अभी तक इस शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
बिना एनओसी जमीन की रजिस्ट्री नहीं
समिति के पदाधिकारी ने कलेक्टर को पत्राचार के माध्यम से यह जानकारी दी है कि समिति की जमीन की खरीदी – बिक्री बिना एनओसी नहीं होनी चाहिए । कलेक्टर ने रजिस्ट्री कार्यालय को निर्देशित किया कि समिति की जमीन रजिस्ट्री बिना एनओसी के बिना न की जाए। जमीन मालिक के पूरे दस्तावेज औरस्थल निरीक्षण करके एनओसी जारी करने का कार्य पदाधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है। भू माफिया और दलाल भ्रम फैला रहे हैं कि एनओसी के नियम का कोई मतलब नहीं है। पदाधिकारियों पर आरोप लगाया जा रहा है कि पैसे लेकर एनओसी जारी किया जा रहा है। समिति पदाधिकारियों का कहना था कि किसी से भी हमारे द्वारा पैसे का मांग नहीं की गई है । यह अफवाह फ़ैलाने की कोशिश केवल भूमाफिया और दलालों की है। कलेक्टर ने तहसीलदार बिलासपुर को यह निर्देशित किया कि समिति के दस्तावेजों की जांच 10 बिंदुओं पर की जाए । तहसीलदार ने समिति के दस्तावेजों की जांच के लिए पदाधिकारियों से दस्तावेज लेकर जांच की जा रही है।
पूर्व सांसद के साथ भी धोखाधड़ी
पूर्व सांसद इनग्रिड मैक्लाउड द्वारा कलेक्टर से शिकायत की गई थी कि समिति में खरीदी गई उनकी जमीन नहीं मिल रही है। कलेक्टर ने समिति को निर्देश दिया कि जमीन की जानकारी दी जाए तो समिति ने कलेक्टर को जांच करके जानकारी दी। पूर्व सांसद मेक्लाउड की जमीन सरकारी खसरा में पायी गयी । भू माफिया और दलालों ने समिति के खसरे को सरकारी जमीन में दर्ज करा दिया था। सरकारी जमीन में खसरा दर्ज कराकर जमीन बेचने के इस कार्य में पटवारी, आरआई की भूमिका हो सकती है क्योंकि सरकारी जमीन की जानकारी उन्हें ही होती है।
सरकारी जमीन बेचने का खेल पुराना
मोपका और चिल्हाटी में सैंकड़ों एकड़ सरकारी भूमि की बंदरबांट का मामला उजागर होने के बाद मोपका के खसरा नंबर 993 में पिछले 30 साल से खरीदी बिक्री रोक लगी हुई गई है । कलेक्टर ने खसरा नंबर 993 में सरकारी जमीन की बंदर हैं बांट शिकायत पर जांच बैठाई गई थी। आज भी जांच चल रही है । राजस्व विभाग में ऐसा भी हुआ है। ऐसी ही नजर भू माफियाओं और दलालों की अब समिति की जमीन पर हैं। बलपूर्वक समिति की जमीन पर कब्जा करके वे मोटी कमाई कर चुके हैं और जब समिति के पदाधिकारी प्रशासन के सहयोग से असली हकदारों के साथ खड़े होने की कोशिश कर रहे हैं तो उन्हें डराया- धमकाया जा रहा है। कई भूमाफिया समिति की जमीन को बेचकर मालदार बन चुके हैं। समिति की जमीन पर सैकड़ों लोग मालिकाना हक जता रहे हैं। यहां तक की भू माफिया और दलालों द्वारा समिति की सड़क और गार्डन की जमीन भी बेच दी गई है। दादागिरी के दम पर समिति पदाधिकारियों को काम करने से रोका जा रहा है।
1985 में हुआ था समिति का गठन
सरकारी कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी समिति का गठन सन 1985 में किया गया था। समिति का उद्देश्य कर्मचारियों को सस्ते दर पर जमीन उपलब्ध कराकर उन्हें रहने के लिए मकान उपलब्ध कराना था। कई पदाधिकारी इस समिति में कार्य करके जा चुके हैं परंतु भू माफिया और दलालों को रोकने में विफल रहे। वर्तमान पदाधिकारियों कोभी भू माफिया दलाल हटाने में लगे हुए हैं और समिति को भंग कराना चाहते हैं। उनका उद्देश्य समिति की जमीन लोगों को बेचकर कमाई करना है। प्रशासन को गंभीरतापूर्वक इस मामले में संज्ञान लेना होगा। अपनी पसीने की कमाई चुकाकर जमीन खरीदने वालों को उनकी जमीन दिलाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
समिति में 8 हजार सदस्य
समिति पदाधिकारियों के अनुसार इस समिति में 8000 सदस्य हैं, जिनमें 50% बाहर के हैं । इनमें कइयो की जमीन दलालों और भूमाफिया ने मिलकर कब्जा कर दूसरे को बेच दी। ये सदस्य अपनी जमीन के दस्तावेज लेकर समिति के पास आ रहे हैं । पूरा दस्तावेज सही होने के बाद भी उनकी जमीन मौके में नहीं है। दूसरे को बेच दी गई है और उस पर मकान बन चुका है। ऐसे पीड़ितों को भी न्याय दिलाने के लिए समिति के पदाधिकारी काम कर रहे हैं । वर्तमान पदाधिकारियों का चुनाव पिछले ही साल 2022 में पंजीयक सहकारी समिति द्वारा कराया गया । भू माफिया और दलाल इस चुनाव प्रक्रिया को ही फर्जी बता रहे हैं। कलेक्टर से भी चुनाव प्रक्रिया की शिकायत की गई है।
पीड़ितों जमीन दिलाना हमारा उद्देश्य
पदाधिकारियों का कहना है कि हमारे पास जो पीड़ित जमीन मालिक आ रहे हैं उनको जमीन दिलाना पहली प्राथमिकता है। समिति ने फैसला किया है की विवादित प्लाट मामला तहसीलदार के न्यायालय में ले जाया जाए। पीड़ित जमीन मालिकों ने समिति के फैसले का स्वागत किया है। फरवरी में समिति की आम सभा रखी गई थी, जिसमें 10 बिंदुओं पर जांच की चर्चा की गई। सर्वसम्मति से फैसला लिया गया। उन्हीं फैसलों को समिति आगे बढ़ाने की कोशिश में है। दलालों को लग रहा है कि उनका खेल खत्म होने वाला है इसलिए वे समिति के अस्तित्व को ही चुनौती दे रहे हैं। जिला प्रशासन के सहयोग से समिति भू माफियाओं और दलालों को बेनकाब करना चाहती है।
कलेक्टर के निर्देश चल रही जांच
कलेक्टर द्वारा समिति के जमीन दस्तावेजों की 10 बिंदुओं पर जांच करने का निर्देश दिया गया है । जांच प्रक्रिया में है । जांच रिपोर्ट कलेक्टर को जल्द ही सौंप दी जाएगी। समिति के पदाधिकारियों की चुनाव प्रक्रिया की जांच की गई है, चुनाव नियमानुसार हुआ है|
गोली मारने की धमकी
हम पीड़ित जमीन मालिकों को जमीन दिलाने के लिए कार्य कर रहे हैं । जिला प्रशासनकी से मदद ली जा रही आफहै। कलेक्टर के निर्देश पर समिति के दस्तावेजों की जांच तहसीलदार कर रहे हैं। हम पीड़ित जमीन मालिकों का न्याय दिलाने में लगे हुए हैं। हमारी समिति न फैसला किया है कि विवादित मामले का निराकरण के लिए तहसीलदार के न्यायालय में केस दायर किया जाए। हम परआरोप लगाकर हमारे काम को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है। मुझे गोली मारने तक की धमकी दी गई है। इस तरह की धमकियों से में डलने वाला नहीं हूं। मैंने इसकी जानकारी एसपी को दे दी है।