रायपुर/27 मार्च 2023। मोदी सरकार की कोयला नीति के कारण छत्तीसगढ़ के उद्योगों का नुकसान हो रहा है। प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ के स्थानीय उद्योगों को प्राथमिकता से कोयला उपलब्ध कराने हेतु मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी और कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी को अनेकों बार पत्र लिखा लेकिन मोदी सरकार ने मुख्यमंत्री के पत्र लिखने के 8 माह बाद भी राज्य के उद्योगों को कोयला उपलब्ध करवाने के लिये कोई निर्णय नहीं लिया। यह भाजपा की मोदी सरकार का छत्तीसगढ़ विरोधी रवैया है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य में प्रतिवर्ष 15 करोड़ टन से अधिक कोयले का उत्पादन होता है। कोयला उत्पादन में छत्तीसगढ़ का देश में दूसरा स्थान है। राज्य में उत्पादित कोयले का अधिकांश भाग अन्य राज्यों में भेजा जाता है।
छत्तीसगढ़ स्टील उत्पादन के क्षेत्र में भी देश के अग्रणी राज्यों में से है। राज्य में अनेक बड़ी स्टील उत्पादक इकाईयों के अलावा सैकड़ों छोटी इकाईयां (MSME) भी हैं जो लाखों लोगों की जीविका का आधार है। कोयले की कमी से राज्य के उद्योगों में बंदी का संकट मंडरा रहा है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य के स्टील निर्माताओं को वर्तमान में 60 लाख टन कोयला प्रतिमाह एस.ई.सी.एल. द्वारा दिया जा रहा है, जबकि उनकी मासिक आवश्यकता लगभग 1.50 करोड़ टन है। देश के अग्रणी कोयला उत्पादक राज्य को उसके लघु उद्योगों को कोयले की आपूर्ति न किया जाना अत्यंत दुर्भाग्यजनक निर्णय है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ के कोयले को दूसरे राज्यों में भेजने के लिये राज्य की यात्री ट्रेनों को बंद कर दिया था, उनके फेरों में कटौती कर दिया। छत्तीसगढ़ का कोयला दूसरे राज्यों को दिया जा रहा लेकिन राज्य में दीया तले अंधेरा है, हमारे उद्योग अपने ही राज्य में उत्पादित कोयले के लिये तरस रहे है। छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता और सांसद भी मोदी सरकार की चाटुकारिता में राज्य के हित में कुछ बोलेन का साहस नहीं दिखा पा रहे।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य के उद्योगों के हित में तत्काल राज्य के उद्योगों के कोयले की आपूर्ति के कोटे को बढ़ायें ताकि राज्य के नागरिकों की उद्योगों के माध्यम से मिलने वाली आजीविका प्रभावित नहीं हो।