Kaal Sarp Dosh Kyu Hota Hai
कालसर्प दोष क्यों होता है
शनि की साढेसाती शनि दोष राहु दोष या केतू का छाया जिस जातक के कुड़ली मे होतीी है वो परेशान रहते हैं और इन दोषों का नाम सुनकर भी जातक कोषो दूर रहना चाहता है। लेकिन जो भाग्य में लिखा है वो अटल है और उसे टाला नहीं जा सकता है। इसी तरह एक दोष होता है कालसर्प दोष । किसी भी जातक की कुंडली में यदि राहु व केतु के मध्य सभी ग्रह रहते है तो इस स्थिति को कालसर्प दोष कहते है। ऐसे जातक को जीवन में परेशानी झेलनी पड़ती है।
कालसर्प दोष जिन लोगों की कुंडली में होता है, उसे हर चीज बहुत ही संघर्षों से प्राप्त होती है। ऐसे लोगों को हर कार्य में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। मानसिक तनाव, अज्ञात भय और भ्रम की स्थिति भी बनती है। नौकरी, करियर और बिजनेस में भी उतार चढ़ाव की स्थिति देखी जाती है। जातक का जीवन में धन व सुख से हीन एवं अत्यंत कष्टकारी रहता है। इस योग के प्रभाव से जातक के जीवन में शारीरिक व मानसिक कष्ट पैदा होते हैं। जातक को धन का अभाव, विवाह में बाधा, दांपत्य सुख में कमी, संतान की हानि, कारागार का भय, स्वजनों से कष्ट, हमेशा अशुभ होने की आशंका एवं अकाल मृत्यु की संभावना बनी रहती है।
काल सर्प दोष की पहचान कैसे करें?
जब कालसर्प दोष होता है तो जातक के रोजगार में नाना प्रकार के व्यवधान उत्पन्न होना एवं आय में कमी होना , शारीरिक एवं मानसिक व्याधियां उत्पन्न,दांपत्य जीवन में तनाव एवं रिश्तो से कष्ट मिलना जातक को ऊंचाई से डर लगना एवं हमेशा अशुभ होने का भय सताना, सोते समय बुरे स्वप्न आना एवं स्वप्न में खुद को मुसीबत में फंसे देखना सपने में खुद को ऊंचाई से गिरते देखना या पानी में डूबते देखना,.सपने में खुद को दूसरों से लड़ते- झगड़ते देखना,जीवन में भूत- प्रेत बाधा उत्पन्न होना ,दुर्घटना का भय सताना ,नींद में अपने शरीर पर सांप रेंगते हुए महसूस करना ,कालसर्प दोष जिस व्यक्ति की कुंडली में पाया जाता है, उसे हर चीज बहुत ही संघर्षों से प्राप्त होती है। ऐसे लोगों को हर कार्य में बाधाओं का सामना करना पड़ता ह। मानसिक तनाव, अज्ञात भय और भ्रम की स्थिति भी बनती है। जॉब, करियर और बिजनेस में भी उतार चढ़ाव की स्थिति देखी जाती है।
कालसर्प दोष की शांति के उपाय
हमारे जीवन में कालसर्प योग के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए कालसर्प योग की शांति अत्यंत आवश्यक है। कालसर्प योग की शांति के लिए सर्प-पूजा एवं नाग-यज्ञ का विधान से करना चाहिए।सर्पों के अधिपति देवता भगवान शिव को माना गया है । नाग-पूजा के साथ-साथ शिव-आराधना करनी चाहिए।चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को बुधवार के दिन बहते हुए जल में प्रवाहित करने से कालसर्प योग के प्रभाव में शांति आती है ।किसी शिवालय में सोमवार के दिन चांदी या तांबे से बने नाग को शिवलिंग पर चढ़ाने से कालसर्प योग शांत होता है ।नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग शांति पूजा कराना चाहिए।अमावस्या के दिन पितरों को शांत व तृप्त करने के लिए दान करें। नागपाश यंत्र को धारण करें। नव-नाग स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इसके साथ सोमवार को भगवान शिव की पूजा करने से कालसर्प दोष की शांति होती है। सोमवार को सुबह भगवान शिव के दर्शन करने चाहिए।सोमवार को भगवान शिव का जलाभिषेक करें और ॐ नम: शिवाय का जाप करें।
ये भी कहा जाता है कि काल सर्प दोष से छुटकारा पाने के लिए जातक को घर में मोरपंख धारण किए भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा घर में स्थापित करनी चाहिए। साथ ही हर दिन उनकी पूजा करनी चाहिए और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का नियमित रूप से 108 बार जाप करना चाहिए।
नोट- इस जानकारी की विश्वसनीयता की गारंटी NPG नहीं लेता है।धर्म ग्रंथों और मान्यताओं से एकत्रित जानकरी है। इसके प्रयोग से पहले अपनी कुडंली योग्य ज्योतिष से दिखाएं फिर इन उपायों को अपनायें