बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में मंत्री सिंहदेव को 11 अप्रैल तक की मोहलत दी गई है। इसमें स्पष्ट है कि उन्हें व्यक्तिगत तौर पर उपस्थित होकर जवाब प्रस्तुत करना होगा। यदि सिंहदेव हाईकोर्ट की दी हुई मोहलत पर अदालत नहीं पहुंचते हैं, तो उस स्थिति में एकतरफा कार्रवाई के लिए भी ताकीद किया गया है।
दरअसल, सार्वजनिक तालाब को पाटकर टुकड़ों टुकड़ों में बेचने से जुड़े एक मामले में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को नोटिस जारी किया है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक अंबिकापुर की तरू नीर समिति ने हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई थी। इसमें राज्य शासन, राजस्व विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग, अंबिकापुर कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर, पर्यावरण संरक्षण मंडल और अंबिका होटेलियर्स एंड बिल्डर्स को प्रतिवादी बनाया था। यह मामला 52.06 एकड़ पर स्थित तालाब शिव सागर (मौलवी बांध) को पाटकर बेचने से जुड़ा है।
इस मामले में याचिकाकर्ता पहले एनजीटी गए थे, लेकिन पुराना मामला होने 1996 का मामला होने के कारण एनजीटी ने याचिका को सुनने से इंकार कर दिया था। हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी ने याचिका को स्वीकार कर संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किया है। इस मामले में भाजपा पार्षद आलोक दुबे ने आरोप लगाया है कि 52 एकड़ तालाब की जमीन बेचने के मामले में हाईकोर्ट द्वारा स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को नोटिस जारी करना यह बात का प्रमाण है कि 1996 में तत्कालीन सरगुजा कलेक्टर द्वारा राजनैतिक दबाव में मौलवी बांध को बेचने की अनुमति दी गई थी।
1996 में बदला गया था लैंड यूज
तरू नीर समिति ने हाईकोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया है कि शिवसागर तालाब व मौलवी बांध जो सेटलमेंट रिकार्ड में सार्वजनिक निस्तार के जलस्रोत के मद के रूप में रकबा 52 एकड़ दर्ज है। जल स्रोत आजादी के बाद राजपरिवार के नाम दर्ज हुई थी। नवंबर 1996 को सरगुजा कलेक्टर ने यह बताते हुए कि 21 एकड़ में जलस्त्रोत है शेष 33.18 भूमि को आवासीय व व्यवसायिक मद में बदल दिया। कलेक्टर द्वारा लैंडयूज बदले के बाद तालाब में निर्माण सामाग्री पाटी गई और भवन व अन्य निर्माण कार्य कराए गए। कोलोनाइजर द्वारा यहां कालोनी का निर्माण कराया गया है।
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