9 सालों में महंगाई कम नहीं कर पाये, रोजगार नहीं दे पाये, किसान बदहाल हुआ
रायपुर/17 मई 2023। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार हर मोर्चे में विफल और नकारा साबित हुई है। नोटबंदी, जीएसटी मोदी सरकार के वह निर्णय है जिसने देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर दिया। 100 दिन में महंगाई कम करने का वायदा करने वाली मोदी सरकार के राज में महंगाई बढ़ गयी। खाद्य तेल, राशन सामग्री, पेट्रोल-डीजल के दाम दुगुने हो गये जनता बेहाल है। कांग्रेस सरकार के अप्रैल 2014 के मुकाबले आज 8 साल बाद डीजल पर एक्साईज ड्यूटी 344 प्रतिशत बढ़ी है, और पेट्रोल पर एक्साईज ड्यूटी 110 प्रतिशत बढी है। घरेलू गैस सिलेंडर जो कांग्रेस सरकार में अप्रैल-मई 2014 में 410 रू. का था, वह आज 1100 रू. को पार कर गया है। साल 2013-14 में कांग्रेस सरकार गैस पर सालाना 46458 करोड़ रू. की सब्सिडी देती थी, ताकि जनता को सस्ती गैस मिले। मोदी सरकार ने इसे पूरी तरह खत्म कर दिया। मोदी जी ने युवाओं को हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन 9सालों में कम से कम 12.5 करोड़ नौकरियां छीन ली। भारत को साल 2028 तक 34.35 करोड़ नए रोजगार सृजन करने होंगे, यानि हर साल 3 से 4 करोड़ नई नौकरियां। मौजूदा गति से भाजपा सरकार को इतनी नौकरियां देने में 1560 साल का समय लगेगा। अकेले नोटबंदी में 50 लाख से ज्यादा लोगों की नौकरी चली गयी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार 9 साल में बनाई कुछ नहीं बल्कि विरासत में मिली संपत्तियों की कौड़ियों के दाम सेल कर रही है। वर्षो की कड़ी मेहनत से खड़ी की गई भारत की संपत्तियों को ‘‘औने-पौने दामों में बेचना’’ मोदी सरकार का सबसे बड़ा ‘‘राष्ट्रविरोधी’’ काम है। मोदी सरकार द्वारा भारत की 6 लाख करोड़ की संपत्तियों की सेल चौंकाने वाली है। आज देश की हर संपत्ति सेल पर लगी है-27000 किलोमीटर की हाईवे, 6,000 मेगावॉट का बिजली उत्पादन और 28,000 किलोमीटर की बिजली की लाईनें, 8,000 किलोमीटर की गैस पाईपलाईन, 210 लाख मीट्रिक टन का अनाज भंडार, 2.86 लाख किलोमीटर टेलीकॉम फाईबर और 15,000 टेलीकॉम टॉवर, 25 एयरपोर्ट, 9 पोर्ट, 761 माईनिंग ब्लॉक, 2 नेशनल स्टेडियम, 1.52 लाख करोड़ रू. मूल्य का रेलवे।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार अन्नदाता किसानों की आय दोगुनी करने की बजाय, भाजपा ने किसानों के कंधों पर कर्ज को दोगुना कर दिया। 31 मार्च 2014 को हमारे अन्नदाता किसानों के कंधों पर 9.64 लाख करोड़ रू. का कर्ज बढ़कर आज 16.80 करोड़ रू. हो गया है। किसानों की औसत आय 27 रू. प्रतिदिन और प्रत्येक किसान पर औसत कर्ज 74,000 करोड़ रू. है (एनएसओ रिपोर्ट)। सत्ता में आते ही मोदी सरकार ने बता दिया था कि वह किसान विरोधी है। जून 2014 में आदेश देकर धान और गेहूं का 150 रू. का बोनस बंद करा दिया। किसानों की जमीन हड़पने के लिए एक के बाद एक, तीन अध्यादेश लाए गए। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दिया और कहा कि लागत के 50 प्रतिशत ऊपर समर्थन मूल्य नहीं दिया जा सकता क्योंकि इससे बाजार भाव खराब हो जाएगा। मोदी सरकार ने किसानों के ऊपर तीन काले कानून थोप दिए थे, जिनके खिलाफ हमारे अन्नदाता किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर 378 दिनों तक आंदोलन करना पड़ा था। किसान आंदोलन में 750 किसानों ने अपने प्राणों का बलिदान दे दिया, लेकिन भाजपा ने उनकी शहीदी के ऊपर एक आँसू तक न बहाया। इन सबके बावजूद किसान को एमएसपी की गारंटी नहीं दी गई। अन्नदाता को आत्महत्या का अभिशाप। दुर्भाग्य की बात है कि भाजपा व मोदी सरकार की किसान-खेत मजदूर नीतियों के चलते साल 2014 से 2023 के बीच 78,303 किसान-खेत मजदूर आत्महत्या का फंदा चूमने को मजबूर हो गए थे।
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