अंकित सोनी@सूरजपुर। जिले में दूरस्थ अंचल क्षेत्र के छात्रों को सुविधा मुहैया कराने के लिए राज्य शासन जहां एक ओर प्रयासरत है और कई छात्रावासों का निर्माण भी विभागीय निर्माण एजेंसियों के माध्यम से करा रही है। वही सम्बंधित विभागीय आधिकारी शासन के मंसूबों पर पानी फेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है।
सूरजपुर के आरईएस विभाग में अधिकारियों की अनदेखी के कारण निर्माण कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है। आप तस्वीरों में देख सकते है कि जो भवन का निर्माण कराया जा रहा है, उसमें जिस गुणवत्ता की बात निर्माण कार्य से पूर्व की जाती है उस गुणवत्ता का कितना ध्यान रखा गया है। जगह-जगह से सरिया अपने आप ही बाहर झांक रही है और जो दीवार चुनाई के लिए मटेरियल का उपयोग किया जा रहा है वह भी मानक के अनरूप नहीं है।
देखने से ऐसा लग रहा है कि यह भवन बनने के साथ ही जर्जर स्थिति में पहुंच चुका है। मगर लाख कमियों के बावजूद अधिकारी अपनी आंख मुंदे ठेकेदार के मनमर्जी अनुसार काम को होने दे रहे हैं।
बता दें कि सूरजपुर के दूरस्थ क्षेत्र छतरंग में बन रहें छात्रावास को आरईएस विभाग के आला तकनीकी अधिकारियों की देख रेख में ठेकेदार द्वारा करोड़ो की लागत से निर्माण कराया जा रहा है। जिसमे विभागीय अनदेखी के कारण तय मानकों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। वहीं मीडिया द्वारा विभागीय अधिकारी से जब इस संबंध में जानकारी चाही गई तो सम्बंधित विभागीय आधिकारी जानकारी ना होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड़ते नजर आए।
निर्माण कार्य में सुधार कराने की बात कलेक्टर ने कही
दूसरी ओर नवनियुक्त कलेक्टर संजय अग्रवाल ने समीक्षा कराकर निर्माण कार्य में सुधार कराने की बात कही। तमाम दावों के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि गुणवत्ता को दरकिनार कर जो भवन देश के भविष्य गढ़ने वाले बच्चों को आश्रय देने के लिए बनाया जा रहा है। वह छात्रावास क्या इसके नीचे रह कर भविष्य गढ़ने का सपना सँजोये नौनिहालों के लिए क्या सुरक्षित होगा। बहरहाल अब देखने वाली बात होगी कि जिला कलेक्टर के संज्ञान लेने के बाद क्या कार्यवाही सामने आती है ।