रायपुर। राजधानी रायपुर में महिला अधिकारी से छेड़खानी करने वाले एडिशनल डायरेक्टर के खिलाफ महीने भर बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पुलिस ने मुकदमा तो दर्ज कर लिया मगर उसके बाद उसके हाथ रुक गए। उधर, अफसर के ट्रांसफर की फाइल चलाई गई मगर उद्योग मंत्री ने फाइल अपने पास रख ली। लिहाजा, महिला अधिकारी आज अपने दफ्तर पहुंचकर सीनियर अधिकारियों से अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि थाना से लेकर विभागीय अधिकारियों के पास दरख्वास्त करने के बाद भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है…मैं अब खुदकुशी कर लूंगी।
बता दें, उद्योग विभाग के एडिशनल डायरेक्टर संतोष भगत के खिलाफ महिला अफसर ने पुलिस में छेड़खानी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। महिला असिस्टेंट डायेक्टर हैं। सो, राजधानी के तेलीबांधा थाना ने केस दर्ज करने में कोई देरी नहीं की। लेकिन, उसके बाद अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस अभी पत्राचार में उलझी हुई है। जबकि, पुलिस ने सीसीटीवी का फूटेज उद्योग विभाग के अधिकारियों से मांगा था। उद्योग विभाग ने पुलिस को फुटेज भी मुहैया करा दिया है। मगर उसके बाद पुलिस किन्हीं प्रेशर में चुप्पी साध ली है। वीडियो में साफ-साफ दिख रहा कि एडिशनल डायरेक्टर महिला की कार रोककर गाडी का शीशा उतरवाकर अपना सिर अंदर किए हैं।
राजधानी में महिला अधिकारी से छेड़खानी का यह मामला 23 मई की शाम हुई। महिला अधिकारी ने डायरेक्टर को लिखित शिकायत में एडिशनल डायरेक्टर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि विभाग में ऑडिट कार्य के चलते 23 मई को मुझे घर जाने में देर हो गई। शाम करीब साढ़े छह बजे जब मैं आफिस से निकल रही थी, तो एडिशनल डायरेक्टर संतोष भगत ने गेट पर उसकी गाड़ी रोक ली। वे उस समय शराब के नशे में थे। कार को रुकवाने के बाद उन्होंने ड्राईविंग सीट का शीशा खोलवाकर खिड़की के माध्यम से कार में अर्द्ध प्रवेश किया। उन्होंने अभद्र टिप्पणियां करते हुए मुझे गलत नीयत से छुआ। महिला अधिकारी ने तुरंत इसकी मौखिक सूचना अपर संचालक प्रवीण शुक्ला को दी। महिला ने लिखित शिकायत में यह भी आरोप लगाई है कि शराब के नशे में एडिशनल डायरेक्टर द्वारा ऑफिस की महिलाओं को मोबाइल पर कॉल किया जाता है। उनके पद का मान रखने और भय के चलते महिलाएं इसकी शिकायत नहीं करती। एक समाज सेविका महिला ने भी शराब के नशे में दुर्व्यव्हार करने की शिकायत की थी।
महिला की शिकायत के बाद उद्योग विभाग ने एडिशनल डायरेक्टर को दो महीने का ईएल लेकर छुट्टी पर चले जाने का निर्देश दिया। ताकि, उनके चले जाने पर मामला शांत हो जाए। मगर 10 दिन बाद ही अधिकारी ने रायपुर कोर्ट से अग्रिम जमानत ले ली। अग्रिम जमानत मिलते ही उन्होंने फिर से आफिस ज्वाईन कर लिया। विभाग की बात बाहर जाने से बदनामी होगी, इसलिए अफसरों ने संतोष भगत का ट्रांसफर कर मंत्रालय भेजने की फाइल चलाई। मगर जशपुर इलाके के एक विधायक उन्हें बचाने एड़ी चोटी की जोर लगा दी। उसके बाद फाइल उद्योग मंत्री कवासी लखमा के यहां से लौटकर नहीं आई। जाहिर है, अफसर को बचाने मंत्री के यहां फाइल दबा ली गई।
उधर, विभागीय विशाखा कमिटी से जांच कराने उद्योग डायरेक्ट्रेट ने डिप्टी डायरेक्टर मुक्तिलता टोप्पो के नेतृत्व में पांच सदस्यीय कमेटी बनाई थी। मगर मुक्तिलता ने यह लिखकर जांच में असमर्थता जता दी कि सीनियर अफसर की जांच वे नहीं कर सकती। इसके बाद इंडस्ट्री डायरेक्ट्रेट ने रायपुर कलेक्टर को जांच के लिए भेज दिया। जिले में विशाखा कमिटी की जांच का कलेक्टर पदेन प्रमुख होते हैं।
घटना के आज एक महीने होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने पर महिला अधिकारी आज उद्योग संचालनालय पहुंची और रोते हुए कहा कि कार्रवाई के लिए वो हर दरवाजा खटखटाकर थक गई। अब मैं खुदकुशी कर लूंगी। महिला अधिकारी ने अपने सीनियर अधिकारियों से कहा…जिस अधिकारी ने उसके साथ छेड़खानी की हो, उसके साथ वो कैसे काम कर पाउंगी।