Is Non-stick Safe: मौजूदा दौर में अधिकतर घरों में नाॅनस्टिक पैन आपको ज़रूर मिल जाएंगे। हों भी क्यों न, पहली बार डोसा या चीला जैसी चीज़ें बनाने के लिए हाथ आजमा रहा व्यक्ति भी इस टेस्ट में पास हो जाता है। जो नाॅर्मल तवे में उसके लिए बिल्कुल असंभव जैसा है। फिर इनमें तेल की नाममात्र की खपत होती है तो फैट से फ्री रहने के संकल्प में भी अड़चन नहीं आती। लेकिन नाॅनस्टिक की ये खूबियां दरअसल अधूरी तस्वीर दिखाती हैं। विशेषज्ञों की माने तो नाॅनस्टिक का इस्तेमाल हेल्थ के लिहाज से उचित नहीं है। ऐसा क्यों? आइए जानते हैं सब कुछ।
नाॅनस्टिक आखिर नाॅनस्टिक बनता कैसे है?
नाॅनस्टिक यानी जो चिपके नहीं। हम जब भी नाॅनस्टिक में डोसा, चीला,ऑमलेट,आलू टिक्की जैसी चीज़ें बनाते हैं तो ये देखकर बहुत खुश होते हैं कि वे बिना तली में चिपके, बिना टूटे-फटे पलटते बन जाती हैं। आखिर ये पैन इस हद तक नाॅनस्टिक कैसे होते हैं?
दर असल नाॅनस्टिक बर्तन पर एक कोटिंग होती है। इसके लिए पॉलीटेट्राफ्लूरोएथिलिन (PTFE) का उपयोग किया जाता है। इसी कोटिंग के कारण नॉन-स्टिक बर्तनों में खाना स्टिक नहीं होता यानी चिपकता नहीं है। इसे टेफ्लॉन कहा जाता है।
टेफ्लाॅन कोटिंग ही है टेंशन की असल वजह
आपको बता दें कि टेफ्लाॅन की कोटिंग पर कई शोध हुए और यह पाया गया कि यह कोटिंग शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकती है। टेफ्लाॅन में सिंथेटिक पॉलीमर पाएं जाते हैं, जिसे पॉलीटेट्रा फ्लूरोएथिलिन कहा जाता है। अगर हम नॉन स्टिक पैन में तेज आंच पर खाना पकाएं तो टेफ्लॉन से हानिकारक केमिकल्स निकल सकते हैं जो थायराॅइड, पाचन से संबंधित समस्याएं, इनफर्टिलिटी और हार्ट प्रॉब्लम, किडनी प्राब्लम से लेकर कैंसर तक के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।
नाॅनस्टिक का प्रयोग ज़रूरी हो तो ध्यान रखें
ये सब पढ़कर मन में डर घर कर जाता है लेकिन फिर भी कभी-कभी इन बर्तनों का इस्तेमाल करना ज़रूरी हो जाता है खासकर जब कुछ ऐसा खास खाने का बहुत मन हो जो इन्हीं बर्तनों में आसानी से बन पाता हो। ऐसे में कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है-
1. नाॅनस्टिक में खाना तेज आंच पर न पकाएं।
2. नाॅनस्टिक की कोटिंग कहीं पर उधड़ी हुई या खुरची हुई हो तो ऐसे बर्तन का इस्तेमाल करना बंद कर दें क्योंकि खुरची हुई जगह से निकलकर खतरनाक कैमिकल का पक रहे खाने में मिलना तय है।
3. नॉन स्टिक बर्तन का इस्तेमाल डीप फ्राइंग के लिए नहीं करना चाहिए।
4. नॉन स्टिक पैन में पानी नहीं उबालना चाहिए।
5. नाॅनस्टिक को प्रीहीट नहीं करना चाहिए।
6. इन बर्तनों में रसेदार चीज़ें नहीं बनानी चाहिए।
7. नॉन स्टिक बर्तन में चाइनीज खाना भी नहीं बनाया जाना चाहिए क्योंकि इन्हें तेज आंच पर ही पकाया जाता है।
8. नॉन-स्टिक बर्तनों को नर्म स्पॉन्ज से ही धोएं। हार्ड ब्रश या स्टील स्क्रबर से साफ न करें वर्ना रगड़ कर उसकी कोटिंग उखड़ जाएगी।
नाॅनस्टिक का विकल्प क्या है?
आजकल टेफ्लाॅन कोटिंग पैन की जगह बाजार में कई और प्रकार के नॉन स्टिक बर्तन हैं जैसे कि हार्ड एनोडाइज्ड, सिरेमिक और सिलिकॉन आदि।विकल्प के तौर पर आप इनमें से किसी को आज़मा सकते हैं। जानकारों के अनुसार नॉन स्टिक बर्तनों में सबसे सुरक्षित सिरेमिक बर्तन हैं।
लेकिन पुराने बर्तन आज भी बेस्ट
ये सही है कि नाॅनस्टिक में खाना बनाना आसान है। इनमें तेल भी कम लगता है जिसके कारण बहुत से लोग इसमें बने खाने को स्वास्थ्यवर्धक मानते हैं। फिर इन्हें साफ करना भी आसान होता है। लेकिन फिर भी इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पुराने समय से चले आ रहे लोहे के बर्तन आज भी बेस्ट हैं। ऐसा कहने की एक वजह है दरअसल जब लोहे की कड़ाही में सब्जी बनती है तो लोहे का कुछ अंश खाने में आता था जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद होता है। अगर आप धैर्य से कुकिंग करें तो इनमें भी कम तेल में खाना बन सकता है। रही नाॅर्मल तवे पर डोसा, चीला जैसी चीज़ें बनाने की बात तो उसके लिए भी कई तरीके हैं। मसलन आप तवे पर हाई स्मोकिंग प्वाइंट वाला ऑइल गर्म करें और एक्स्ट्रा ऑइल वापस निकाल दें। अब आपका नाॅर्मल तवा भी नाॅनस्टिक बन जाएगा। हालांकि इन कामों के लिए थोड़ी प्रेक्टिस की ज़रूरत पड़ेगी। लेकिन निस्संदेह इनमें बना खाना स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक नहीं होगा।