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बाबा उदयनाथ के संकल्पित रास्ते पर चल रहे 35 हजार से ज्यादा अनुयायी, गुरु की महिमा से प्रेरित होकर ले चुके है अलेख महिमा की दीक्षा

रवि तिवारी@देवभोग। आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर हम आपको एक ऐसी खबर से रूबरू करवाने जा रहे है, जिस खबर को पढ़ने के बाद आप भी कहेंगे.. कि वाकये में यह खबर गुरु और शिष्य के बीच का अटूट प्रेम और संकल्प के रास्ते में चलने का अद्भुत समागम है.. हम बात कर रहे है कांडसर वाले बाबा उदयनाथ की.. आश्रम के बाबा उदयनाथ से दीक्षा लेकर उनके संकल्प किये हुए रास्ते में चलने वाले उनके शिष्यों की संख्या 35 हजार से ज्यादा है.. ये शिष्य बाबा के बताये हुए रास्ते पर चलकर रोज सूर्योदय से पहले स्नान करके पहले मुड़िया मारते है.. वहीं शाम को भी मुड़िया मारकर सूरज ढलने से पहले भोजन करते हुए अलेख महिमा में बताये गए दीक्षा के अनुसार जीवन जीते है.. बाबा उदयनाथ के दीक्षाधारी शिष्य गेरूवा वस्त्र धारण कर समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए काम करते हुए नजर आते है.. यहां बताना लाजमी होगा कि बाबा उदयनाथ के दीक्षा लेने वाले शिष्यों के अलावा उनके और भी शिष्य है, जो बाबा के बताये हुए मार्ग पर चलकर हमेशा समाज हित में कार्य कर रहे है.. आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर बाबा के कांडसर आश्रम में बड़ा धार्मिक आयोजन रखा गया है.. जिसमें क्षेत्र के लोगों के साथ नवरंगपुर, चन्दाहांडी, कालाहांडी और नुवापाड़ा जिले से हजारों की संख्या में बाबा के शिष्य पहुँचकर बाबा से आशीर्वाद ग्रहण करते है..

शिष्यों की परेशानी दूर कर बाबा ने बनाई अपनी जगह-: बाबा उदयनाथ ने सन 1998 में सन्यास लेकर क्षेत्र में पहली बार पहुँचे थे .. बाल ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले बाबा ने शुरूवाती दिनों में कई दिन जंगल में भ्रमण करते हुए काटा.. समाज हित में अपना सब कुछ त्यागकर समाज को नई दिशा देने के लिए बाबा का प्रयास निरंतर जारी रहा.. शुरुवाती दिनों में बाबा के साथ मात्र 5 ही शिष्य जुड़े थे.. वे अपने 5 शिष्यों के साथ गॉव-गॉव भ्रमण कर अलेख महिमा के ज्ञान रूपी ज्योति को आमजनों तक पहुंचाने के लिए सभी जगह पहुँचकर यज्ञ भी किया करते थे.. इस दौरान बाबा के पास जो भी आता, बाबा उसके हर परेशानी का समाधान बताकर उसके दुःख को दूर करते थे.. धीरे-धीरे बदलते समय के साथ बाबा और उनके शिष्यों का प्रेम गहरा होता चला गया.. बाबा आज भी कोई बड़ा निर्णय लेने से पहले अपने शिष्यों से वार्तालाप करते है.. शिष्यों से चर्चा करने के बाद ही बाबा कोई बड़ा कदम उठाते है.. बाबा उदयनाथ के प्रति उनके शिष्यों का बढ़ता विश्वास ने आज कांडसर में एक भव्य रूप ले लिया है.. इसी का परिणाम है कि आज कांडसर में बाबा उदयनाथ का भव्य आश्रम बन चुका है.. आश्रम में उनके शिष्यों के रुकने, भोजन की व्यवस्था भी बाबा के द्वारा किया जाता है.. वहीं बाबा उदयनाथ के आश्रम में हर बीमारी की आयुर्वेद दवा मिल जाती है.. दवाई को बाबा अपनी देखरेख में खुद तैयार करवाते है.. इतना ही नहीं यहां गौ मूत्र को वाष्पीकरण की प्रक्रिया से फ़िल्टर करते हुए तैयार किया जाता है.. बाबा उदयनाथ कहते है कि गौ मूत्र कई बीमारियों की दवा है..बाबा के शिष्य गौरीशंकर कश्यप की माने तो बाबा के आश्रम में बना आयुर्वेद की दवाओं का उन्होंने भी सेवन किया है.. गौरी के मुताबिक उन्होंने जिस परेशानी के लिए दवा का सेवन किया था, उन्हें उस परेशानी से तत्काल राहत मिल गया था..

35 हजार से ज्यादा शिष्य कर रहे जैविक खेती-: बाबा उदयनाथ अपने आश्रम में धान की खेती के साथ ही सब्जियां भी लगाते है.. बाबा खेत में हमेशा गोबर खाद का उपयोग करते है.. इसी के साथ ही वे अपने शिष्यों को भी समझाईश देते है कि ज्यादा से ज्यादा जैविक खाद का प्रयोग करते हुए खेती करे.. बाबा ने शिष्यों को जैविक खाद के महत्व को भी समझाया है कि इस खेती से स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकुल असर नहीं पड़ता.. और पर्यावरण भी संतुलित रहता है.. वहीं बाबा के सिख का उनके 35 हजार से ज्यादा शिष्यों पर गहरा असर पड़ा है.. सभी शिष्य जैविक खेती करते हुए दूसरे लोगों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रेरित कर रहे है..

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