गोवर्धन सिन्हा@राजनांदगांव। जिले के श्रम कार्यालय में श्रम निरीक्षकों द्वारा हर ब्लॉक में अपना एजेंट दलाल बना कर रखा हुआ है। जो एजेंट लंबे समय से श्रम विभाग में कार्य कर रहे हैं उन्हीं एजेंटों को श्रम निरीक्षको को द्वारा अपना नियोजन प्रमाण पत्र हस्ताक्षर कर दिया जाता है । इसके एवज में निरीक्षकों द्वारा 500 ₹1000 लिया जाता है ।फिर एजेंट द्वारा किसी भी व्यक्ति का श्रम कार्ड जारी कर दिया जाता है। भले वह मजदूर हो या ना हो उनको पैसा से मतलब है दलाल द्वारा 1500 सौ से ₹2000 लिया जा रहा है ।
ऑनलाइन बकायदा सीएससी सेंटर से होता है यह एजेंट द्वारा कई जगह सीएससी सेंटर को भी अपना पॉइंट बना कर रखा हुआ है वहीं से ऑनलाइन करवाते हैं और कई लोगों को श्रम विभाग द्वारा बोला गया कि आप सीएससी सेंटर ले लो क्योंकि यह काम सीएससी के बिना नहीं हो सकता कई दलाल द्वारा सीएससी सेंटर लेकर रखा हुआ है ऑनलाइन होने के बाद निरीक्षकों को फोन के माध्यम से आवेदन नंबर दिया जाता है और तुरंत तैयार किया जाता है दलाल द्वारा शासन की योजनाओं के बारे में लालच देकर भोले-भाले ग्रामीणों को खुलेआम लूट रहा है ।इस बात को लेकर श्रम विभाग के अधिकारी को प्रधान साहब से शिकायत किया गया तो लिखित आवेदन के बारे में बोला गया जबकि छुरिया विकासखंड के शिकारीटोला में खुलेआम मेन रोड पर लूट का अड्डा बना कर लूट रहा था । वहां पर लंबे समय से नियोजन प्रमाण पत्र प्रदान करने वाले जगदीश कश्यप का नाम आया है।
श्रम विभाग के अधिकारी जगदीश कश्यप को बचाने के चक्कर में लगे हुये है। दलाल का वीडियो भी बना हुया है। दलाल का बाकयदा बताया भी गया फिर भी अधिकारी मानने से इंकार कर रहे हैं। जो सीएससी सेंटर में सभी काम कम कीमत में होता है वही दलाल के माध्यम से बनता है तो इसका इसका मूल्य शासकीय मूल्य से हजार गुना ज्यादा होता है इससे साफ है कि श्रम निरीक्षको व दलाल की मिलीभगत होने के कारण इसका कीमत 1000 गुना ज्यादा होता है अगर सीएससी सेंटर बनाता है तो मात्र 100 से ₹200 ज्यादा से ज्यादा ले सकता है।
अगर इससे ज्यादा लेता है तो उनके खिलाफ शिकायत करने पर उनका आईडी ब्लॉक हो सकता जो लोग वास्तविक में मजदूर है उनका आज तक श्रम कार्ड नहीं बना है और जो मजदूरी के लायक नहीं है उनका 1500 -2000 लेकर बकायदा कार्ड बनाया जाता है।
इसके लिए जवाबदार कौन होगा श्रम निरीक्षको या दलाल आज के जमाने में पैसा है तो सब है इस कारण एजेंट ही है जो नहीं हो सकता है उसे भी कर दिखा रहा है ।पैसा के सामने सब है अधिकारी भी बिका हुआ है जो बच्ची 18 वर्षों से 21 वर्ष की है उसे 20000 का लालच देकर उस परिवार से *मुख्यमंत्री नोनी सशक्तिकरण योजना* का लाभ बताकर 1500 ₹2000 श्रम कार्ड बनाने का लिया जाता है और योजना का लाभ देने के लिए 25 परसेंट या 50 परसेंट का राशि 20000 आने पर लिया जा रहा है उसी प्रकार *मिनी महतारी योजना* में भी ₹20000 का लाभ के दिलाने के लालच में नवा बहू श्रम कार्ड बनाया जाता है क्या नया बहू कभी श्रमिक काम कर सकते हैं क्या उसी प्रकार जिनके यहां बच्चे बच्चियां पढ़ रहे हैं उनको *नौनिहाल छात्रवृत्ति* का लालच देकर उनसे भी उसी तरीके से लिया जाता है ऐसे कई शासन के योजना है ।जिसके लालच देकर दलाल द्वारा कार्ड बना दिया जाता है। जबकि वह परिवार वास्तविक में श्रमिक नहीं है दलाल द्वारा अपने कमाई का साधन बना कर श्रम विभाग के साथ धोखाधड़ी कर रहे हैं। साथ में निरीक्षको के मिलीभगत है। इस कारण इस तरह के धोखाधड़ी हो रहा है ।
एजेंट को अपने घर में बुलाकर नियोजन प्रमाण पत्र दिया जाता है
डोंगरगढ़ से निरीक्षक मुकेश देवांगन इनके द्वारा बकायदा अपने घर में एजेंट को बुलाकर नियोजन प्रमाण पत्र दिया जाता है। डोंगरगढ संतराम सिन्हा, संतोष सिन्हा,प्रताप साहू , *डोंगरगांव के निरीक्षक जगदीश* के एजेंट छुरिया नरेश साहू ऐसे कई एजेंट है जो श्रम विभाग के निरीक्षकों द्वारा अधिकृत किया गया है ।अब शासन प्रशासन क्या करते हैं इन सब के ऊपर क्या हमारा खबर का असर होगा या नहीं देखने के लिए बने रहिए ।