नृपेंद्र मिश्रा ने खुलासा किया कि मंदिर में हर वर्ष रामनवमी के दिन दोपहर बारह बजे सूर्य की किरणें श्रीराम की मूर्ति पर पड़ें, ऐसी व्यवस्था की जा रही है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि गर्भ गृह में दो मूर्तियां होंगी, एक चल और एक अचल. एक श्रीराम की बाल्यावस्था की और दूसरी रामलला की मूर्तियां होगी.
रामनवमी के दिन रामलला के माथे पर पड़ेगी सूर्य की किरण
मंदिर की एक विशेष खासियत का खुलासा करते हुए नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि ‘ऐसी योजना है कि रामनवमी के दिन 12 बजे भगवान के माथे पर सूर्य की किरणें पड़ें. जो मूर्ति है उसकी दिशा इस प्रकार से रखी गई है कि वहां पर सूर्य की किरणें सीधी नहीं पड़ रही हैं. सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, रुड़की और पुणे के एक एस्ट्रोनॉमिकल संस्थान ने मिलकर कम्प्यूटरीकृत सिस्टम बनाया है. इसमें एक छोटा सा उपकरण है जो कि मंदिर के शिखर में लगाया जाएगा. किरणें इस माध्यम से आएंगी और फिर रिफ्लेक्ट होकर भगवान रामलला के ललाट पर पहुंचेंगी.’
बेंगलुरु में बन रहा डिजाइन
उन्होंने बताया कि यह उपकरण बेंगलुरु में बन रहा है और इसकी डिजाइन व देखरेख रुड़की और पुणे के संस्थान तथा वैज्ञानिक कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि ‘रामनवमी के दिन यह कुछ ही सेकेंड के लिए होगा इसलिए हमें प्रयास करना है कि उस दिन वहां भारी संख्या में लोग ना पहुंच जाएं.’ उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी चुनौती होगी कि उस समय भगदड़ जैसे हालात ना हों और इस चुनौती से निपटने के लिए इस घटना को स्क्रीन और दूरदर्शन पर दिखा पाएं इसका भी प्रयास किया जा रहा है.