कमलेश हिरा@अंतागढ़। शासन ने स्कूलों में शिक्षा का अधिकार कानून लागू कर दिया है। बावजूद इसके आज भी कुछ स्कूलों में बच्चों को खेलकूद और पढ़ाई-लिखाई के अलावा कोई भी गतिविधि कराना प्रतिबंधित है। शासन के इस आदेश को ठेंगा दिखाने का काम,कांकेर जिला के अंतागढ़ ब्लॉक के प्राथमिक शाला कोटखुरसई के प्राथमिक शाला में हो रहा है। जहां बच्चों से पानी भरवाया जा रहा है,कोटखुरसई स्कूल में बच्चे बाल्टी से पानी ढोकर खुद अपने पीने के पानी की व्यवस्था करते हैं। पानी भर रहे बच्चों से जब पूछा गया कि वे ऐसा क्यों कर रहे हैं, ये तो स्वीपर और रसोइयों का काम है तो बच्चो ने उत्तर दिया कि स्वीपर स्कूल नहीं आ रहा तो शिक्षक हमें ही पानी भरने कहते हैं। बड़े ड्रम को भरने लिए बच्चे रोज लगभग 10 बाल्टी पानी लाते हैं। तब जाकर उन्हें कक्षा में पढ़ने का मौका मिलता है।
स्कूल के बाहर 500 मीटर की दुरी पर हैंण्डपंप से पानी लाते हैं। स्कूल परिसर में न कोई हैंण्डपंप है और न ही नल लगा है। बच्चे स्कूल परिसर से बाहर बस्ती से लगे सड़क किनारे के हैण्डपंप से पानी लाते हैं। एक बाल्टी पानी लाने दो बच्चे जाते हैं। एक हैण्डपंप चलाता है, दूसरा बाल्टी में पानी लेता है। उल्लेखनीय है कि स्कूलों में अब बच्चों से किसी तरह का भी काम नहीं करवाने का आदेश है। पहले स्कूल परिसर की लिपाई के लिए बच्चों को हर शानिवार को गोबर मंगाया जाता था।स्वदेश पत्रकारों ने जब स्कूल का जायजा लिया तो मौके पर तीन शिक्षक स्कूल के बाहर आने लगे यहां लगभग 25 से 28 बच्चे पढ़ते हैं। रसोइए कहते हैं पानी भरना हमारा काम नहीं,स्वीपर नहीं है तो पानी लाने का काम रसोइए भी कर सकते हैं लेकिन एक ड्रम पानी लाने में भी यहां के रसोइए अड़ियल रवैया दिखाते हैं।