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कई राज्यों में हाथी गणना पूरी, छत्तीसगढ़ में अता-पता नहीं

रायपुर | संवाददाता: देश के कई राज्यों में हाथियों की गणना चल रही है या पूरी हो गई है. लेकिन हाथी प्रभावित छत्तीसगढ़ में हाथी गणना का अता-पता नहीं है.

नियमानुसार हर दो साल में हाथियों की गणना होनी चाहिए. लेकिन छत्तीसगढ़ में पिछले कई सालों से हाथियों की गणना ही नहीं की गई है.

केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में समानांतर हाथी जनसंख्या अनुमान अध्ययन के अंतर्गत केरल के चार हाथी अभ्यारण्यों में तीन दिवसीय हाथियों की गणना शुरु हो चुकी है.

हाथी गणना की आरंभिक रिपोर्ट 23 जून को और अंतिम रिपोर्ट 9 जुलाई को प्रस्तुत की जाएगी.

पड़ोसी राज्य ओडिशा ने भी 22 से 24 मई तक हाथियों की गणना पूरी कर ली है.

हाथियों की संख्या जानने के लिए मचान अवलोकन, प्रत्यक्ष दृश्य, ड्रोन फुटेज और थर्मल इमेजिंग सहित विभिन्न तरीकों का उपयोग किया गया.

इसके आंकड़े अगले दो सप्ताह में सार्वजनिक किए जाएंगे.

छत्तीसगढ़ में अता-पता नहीं

अनुमान है कि छत्तीसगढ़ में लगभग 500 जंगली हाथी हैं.

भारतीय वन्यजीव संस्थान के अनुसार देश भर में हाथियों की आबादी का एक फ़ीसदी हिस्सा छत्तीसगढ़ में निवास करता है.

लेकिन हाथी-मानव द्वंद्व के 15 फ़ीसदी मामले छत्तीसगढ़ में होते हैं.

इस लिहाज से हाथियों की गणना और उनके इलाके का चिन्हांकन कर के हाथी प्रबंधन की योजना पर बेहतर तरीके से काम किया जा सकता है.

लेकिन छत्तीसगढ़ की इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है.

हालत ये है कि राज्य का वन अमला, हाथियों की संख्या और होने वाली द्वंद्व की घटनाओं को भी छुपाता रहता है.

यहां तक कि राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के कार्यालय में पिछले 20 सालों से हाथियों के कारण होने वाले नुकसान, हताहतों की संख्या, मारे जाने वाले हाथियों की संख्या की जानकारी तक उपलब्ध नहीं है.

वन्यजीव विशेषज्ञ मानते हैं कि बिना आंकड़ों के हाथियों के प्रबंधन की कोई फूलप्रूफ योजना नहीं बनाई जा सकती.

लेकिन छत्तीसगढ़ अभी हाथियों की गणना तक के लिए तैयार नहीं है.

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