ज़िंदगी एक ख़ूबसूरत क़िताब है, जिसमें अलग-अलग रंग भरे हुए हैं। इन हसीं रंगों में जवानी सतरंगी छटा की किरणें बिखेरती हैं, तो चौथापन (बुढ़ापा) कभी-कभी जद्दोजहद बन जाता है। प्रदेश के मनेंद्रगढ चिरमिरी भरतपुर ज़िले में इसी जद्दोजहद का सामना कर रहे हैं- बुज़ुर्ग दम्पति। उम्र बढ़ने के साथ हाथ-पैर शिथिल हो चले हैं, ऐसे में सबसे बड़ी परेशानी कमाने-ख़ाने की। मुक्त का राशन तो दो महीनों से दूर |
भरतपुर से लगभग 20 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत पूंजी में रामनाथ यादव और उनकी पत्नी को तकलीफ़ों ने जकड़ लिया है। रामनाथ जिनकी पत्नी का दिमाग़ी संतुलन ठीक नहीं है और स्वयं रामनाथ के पैरों के साथ उनके कान भी जवाब देने लग गए हैं। इस हालत में बदहाली में जीवन यापन करने को मजबूर हैं, क्योंकि सरकार की ओर दिया जाने वाला मुक्त राशन दो महीनों से इनको नहीं मिला है। पति-पत्नी दोनों लगातार राशन दुकान का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सिर्फ़ निराशा के सिवा उनको कुछ नहीं मिल रहा।
राशन दुकान के संचालक कहते हैं कि- राशन के लिए फिंगर लगाना पड़ता है, लेकिन इनका फिंगरप्रिंट ही नहीं लग रहा, यही कारण बताकर इनको राशन से वंचित किया जा रहा है। इस बात का पता चलने पर सरपंच बिमला सिंह ने कहा है कि- पहले मुझे इस बारे में कुछ भी पता नहीं था, लेकिन अब ये मेरी जानकारी में आया है। सरपंच इसकी जांच कराने की बात कह रही हैं।