रायपुर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ में पिछले 10 सालों में लगातार बाघों के शिकार के बीच राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश से 3 बाघों को लाने का फ़ैसला किया है. हालांकि इस फ़ैसले पर अगले साल तक अमल होगा.
नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी ने बाघ लाने की योजना को आरंभिक मंजूरी दे दी है.
यह फ़ैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब छत्तीसगढ़ का वन विभाग का अमला, पिछले तीन महीनों से बार नवापारा के इलाके में घूम रहे एक बाघ को कॉलर आईडी नहीं लगा पाया है.
एनटीसीए के दिशा-निर्देश के अनुसार इस बाघ को प्राथमिकता के आधार पर कॉलर आईडी लगाया जाना चाहिए था लेकिन छत्तीसगढ़ का वन विभाग इसमें असफल रहा.
ऐसे में मध्यप्रदेश से लाये जाने वाले बाघों का जीवन किस हद तक सुरक्षित रहेगा, इसे लेकर वन विभाग के भीतर ही सवाल उठ रहे हैं.
राज्य के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) सुधीर अग्रवाल ने मीडिया को जानकारी दी है कि मई 2025 तक मध्य-प्रदेश से ये बाघ लाए जाएंगे.
इन बाघों को अचानकमार टाइगर रिज़र्व में छोड़ा जाएगा.
इनमें एक बाघ और दो बाघिन होंगी.
सुधीर अग्रवाल ने दावा किया है कि अचानकमार में अभी गांव वालों को विस्थापित किया जा रहा है.
हालांकि सुधीर अग्रवाल के दावे अपनी जगह हैं लेकिन हक़ीकत ये है कि 2009 के बाद से अचानकमार में किसी गांव का विस्थापन नहीं हुआ है.
2009 के 25 में से 6 गांव, बोकराकछार, बांकल, बहाउड़, सांभरधसान, कूबा और जल्दा को विस्थापित किया गया था.
उसके बाद से एक भी गांव को विस्थापित करने में वन विभाग को सफलता नहीं मिली है.
नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के अनुसार छत्तीसगढ़ में 2014 की गणना में 46 बाघ थे.
लेकिन 2018 में यह संख्या घट कर केवल 19 रह गई.
पिछले साल आई रिपोर्ट के अनुसार राज्य के तीन टाइगर रिजर्व उदंती-सीतानदी, अचानकमार और इंद्रावती में केवल सात बाघ हैं.
पिछले 10 सालों में राज्य के अलग-अलग इलाकों में लगातार बाघों के शिकार की ख़बरें आती रही हैं.
वन विभाग के स्थानीय अमले ने शिकारियों को पकड़ा भी है लेकिन बाघों की आबादी बढ़ाने की दिशा में वन विभाग ने कोई कोशिश नहीं की.
यहां तक कि जिन बाघ अभयारण्य से गांवों को विस्थापित किया गया, उन इलाकों को भी आज तक सरकार विकसित नहीं कर पाई है.
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