दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं ने एक संयुक्त घोषणा-पत्र में भुखमरी से लड़ने के लिए एक वैश्विक समझौते, युद्धग्रस्त गाजा के लिए अधिक सहायता और पश्चिम एशिया व यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने का आह्वान किया। इस घोषणापत्र में सामान्य बातें अधिक हैं, लेकिन लक्ष्यों को कैसे प्राप्त किया जाए इस बारे में अधिक विवरण नहीं है।
संयुक्त बयान को जी-20 देशों का बड़ी संख्या में समर्थन मिला, लेकिन पूरी तरह सर्वसम्मति नहीं मिली। इसमें अरबपतियों पर ग्लोबल टैक्स लगाने और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों का भी आह्वान किया गया है।
सम्मेलन की शुरुआत में विशेषज्ञों ने संदेह जताया था कि अमेरिका के आगामी डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की अनिश्चितता और पश्चिम एशिया व यूक्रेन में युद्धों से प्रभावित सम्मेलन में ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डी सिल्वा एकत्रित नेताओं को किसी भी समझौते पर पहुंचने के लिए राजी कर पाएंगे।
अर्जेंटीना ने शुरुआती मसौदों की भाषा को चुनौती दी और वह एकमात्र देश था जिसने पूरे दस्तावेज का समर्थन नहीं किया। स्वतंत्र राजनीतिक सलाहकार और ब्राजील के पूर्व मंत्री थामस ट्रामैन ने कहा, ‘एक ऐसा क्षण था जब कोई घोषणा नहीं होने का जोखिम था। चेतावनियों के बावजूद यह लूला डी सिल्वा के लिए एक अच्छा परिणाम है।’
इजरायल पर हमास के हमले के लगभग एक वर्ष बाद घोषणा-पत्र में बिना दोषारोपण के युद्धों की निंदा और शांति का आह्वान किया गया है। इसमें गाजा में भयावह मानवीय स्थिति और लेबनान में तनाव बढ़ने का उल्लेख किया गया है। इसमें मानवीय सहायता का विस्तार करने और नागरिकों की बेहतर सुरक्षा करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया गया है।
घोषणा-पत्र के अनुसार, ‘फलस्तीनियों के आत्मनिर्णय के अधिकार की पुष्टि करते हुए हम द्वि-राष्ट्र समाधान के लिए प्रतिबद्धता दोहराते हैं, जहां इजरायल और फलस्तीन शांति से रहते हों।’ इसमें इजरायल की पीड़ा या हमास द्वारा अब भी बंधक बनाकर रखे गए 100 या उससे अधिक बंधकों का उल्लेख नहीं है। इजरायल जी-20 का सदस्य नहीं है। घोषणा-पत्र में इजरायल के संकट की अनदेखी करना अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन द्वारा इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का लगातार समर्थन करने के विपरीत प्रतीत होता है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन बैठक में शामिल नहीं हुए और उनके स्थान पर विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने रूस का प्रतिनिधित्व किया। घोषणा-पत्र में रूस का नाम लिए बिना शांति का आह्वान करते हुए यूक्रेन में मानवीय पीड़ा को उजागर किया गया। घोषणा-पत्र में अरबपतियों पर ग्लोबल टैक्स लगाने का आह्वान किया गया है। अगर यह टैक्स अस्तित्व में आया तो दुनियाभर में लगभग 3,000 लोग प्रभावित होंगे जिनमें लातिन अमेरिका के करीब 100 लोग शामिल हैं। अर्जेंटीना ने इसका विरोध किया।
बयान के अधिकांश हिस्से में भुखमरी से लड़ाई पर फोकस किया गया है जो लूला की प्राथमिकताओं में शामिल है। ब्राजील सरकार का कहना है कि राष्ट्रपति द्वारा सोमवार को शुरू किए गए भुखमरी व गरीबी के विरुद्ध वैश्विक गठबंधन जी-20 घोषणा-पत्र जितना ही महत्वपूर्ण है। अब तक 82 देश इसका समर्थन कर चुके हैं।
जी-20 नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आमूलचूल बदलाव के लिए सुधारों पर काम करने का संकल्प लिया ताकि यह 21वीं सदी की वास्तविकताओं एवं आवश्यकताओं के अनुरूप बन सके। लगभग सभी देश इस बात पर सहमत हैं कि सुरक्षा परिषद का विस्तार किया जाना चाहिए।
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